गुरुवार, सितंबर 30, 2021

डॉ. हिरिओम शर्मा वशिष्ठ: एक बहुआयामी व्यक्तित्व की अनूठी गाथा...


कुछ लोग अपने जीवन को एक ही क्षेत्र में समर्पित करते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने बहुमुखी प्रतिभा से समाज के कई हिस्सों को रोशन करते हैं। डॉ. हिरिओम शर्मा वशिष्ठ उन्हीं असाधारण लोगों में से एक हैं। उनका जीवन शिक्षा, लेखन, समाज सेवा और सबसे बढ़कर, गंगा संरक्षण के प्रति उनके अटूट समर्पण की एक अनूठी कहानी है।


शिक्षा का सफर: ज्ञान की लौ जलाने वाले गुरु

9 अगस्त, 1969 को जन्मे डॉ. वशिष्ठ का शैक्षणिक सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है। राजनीति विज्ञान में एम.ए., एम.फिल., और पी.एच.डी. जैसी उच्च उपाधियाँ प्राप्त करके उन्होंने खुद को अकादमिक जगत का एक मजबूत स्तंभ बनाया। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में 10 वर्षों तक, उन्होंने हजारों छात्रों के मन में राजनीति विज्ञान की गहरी समझ पैदा की।

सिर्फ यहीं तक नहीं, उन्होंने चूरू के एक पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के प्राचार्य के रूप में 5 साल तक नेतृत्व भी किया। इस भूमिका में, उन्होंने सिर्फ शिक्षा नहीं दी, बल्कि छात्रों में नैतिक मूल्यों और सामाजिक चेतना की अलख भी जगाई। वह मानते हैं कि डिग्री से ज़्यादा ज़रूरी, एक अच्छा इंसान बनना है।


लेखन की दुनिया: विचारों से समाज को जगाने वाले लेखक

डॉ. वशिष्ठ सिर्फ एक शिक्षक नहीं, बल्कि एक कुशल लेखक भी हैं। उनकी कलम ने भारतीय राजनीति और सामाजिक समस्याओं के जटिल पहलुओं को सरल भाषा में उजागर किया है। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ, जैसे कि 'भारतीय राजनीति में संवैधानिक समस्याओं का पतन' और 'भारत में वित्तीय संघवाद', हमारे राजनीतिक ढांचे की चुनौतियों को गहराई से समझाती हैं।

इसके अलावा, उनकी पुस्तक 'भारतीय युवकों में नैतिक मूल्यों का पतन' समाज की एक संवेदनशील समस्या पर प्रकाश डालती है, जो हमें आज के युवाओं की दिशा पर सोचने के लिए मजबूर करती है। 'भारतीय राजनीति में राज्यपाल का पद एवं इसकी विवादास्पद भूमिका' नामक उनकी किताब केंद्र-राज्य संबंधों की जटिलताओं को सुलझाने का प्रयास करती है।


गंगा सेवक: पर्यावरण और जल संरक्षण के सच्चे सिपाही

डॉ. वशिष्ठ ने खुद को सिर्फ किताबों और कक्षाओं तक सीमित नहीं रखा। वह 'जीवनधारा नमामी गंगे संस्था' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

गंगा के प्रति उनका प्रेम और पर्यावरण संरक्षण का जुनून ही उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में लाया। उनके इस समर्पण को कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया है। 2019 के प्रयागराज कुंभ में गंगा संरक्षण के लिए उन्हें 'गंगा सेवक पुरस्कार' और 'प्रयागराज कुंभ सम्मान' से सम्मानित किया गया। 2020 में, उन्हें जल संरक्षण के लिए 'जल शक्ति सम्मान' और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए 'पर्यावरण संरक्षण सम्मान' भी मिला।

डॉ. हिरिओम शर्मा वशिष्ठ का जीवन एक प्रेरणा है। वह हमें सिखाते हैं कि शिक्षा, लेखन और समाज सेवा, इन सभी क्षेत्रों में सच्ची लगन और समर्पण से एक व्यक्ति समाज में कितना बड़ा और सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उनका जीवन इस बात का जीवंत प्रमाण है कि एक व्यक्ति का प्रभाव कई पीढ़ियों तक महसूस किया जा सकता है।









 

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