ज्योतिष शास्त्र में मोर पंख को नौ ग्रहों का प्रतिनिधि के संबंध में उल्लेख किया गया है । मोरपंख को शुभ मुहूर्त में इस्तेमाल करने पर समस्याओं से छुटकारा मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार मोर पंख और मुकुट में मोर पंख धारण करते हैं। शास्त्रों के अनुसार मोर के पंखों में देवी-देवताओं और सभी नौ ग्रहों का निवास है। देवताओं ने मोर द्वारा संध्या असुर का वध किया था। पक्षी शास्त्र में मोर और गरुड़ के पंखों का विशेष महत्व बताया गया है । मोर पंख आपके जीवन का सुख- समृद्धि है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार में लोगों को राहू की स्थिति शुभ नहीं एवं काल सर्प दोष आने पर मोर पंख रखना चाहिए।आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार मोर पंख से तपेदिक, दमा, लकवा, नजला और बांझपन और दुसाध्य रोगों में चिकित्सा है। अचानक कष्ट या विपत्ति आने पर घर अथवा शयनकक्ष के अग्नि कोण में मोर पंख लगाना चाहिए. थोड़े ही समय में सकारात्मक असर होगा। धन-वैभव में वृद्धि की कामना से निवेदन पूर्वक नित्य पूजित मन्दिर में श्रीराधा-कृष्ण के मुकुट में मोर पंख की स्थापना करके/करवाकर 40वें दिन उस मोर पंख को लाकर अपनी तिजोरी या लॉकर में रख दें. धन-संपत्ति में वृद्धि होना प्रारम्भ हो जायेगी। सभी प्रकार के रुके हुए कार्य भी इस प्रयोग से बन जाते हैं। जिन लोगों की कुण्डली में राहू-केतु कालसर्प योग दर्शया गया उन्हें अपने तकिये के खोल में 7 मोर पंख सोमवार की रात्रि में डालकर उस तकिये का उपयोग करना चाहिए साथ शयनकक्ष की पश्चिम दिशा की दीवार पर मोर पंखों का पंखा जिसमें कम से कम 11 मोर पंख लगे हों लगा देने से कुण्डली में अच्छे ग्रह अपनी शुभ प्रभाव देने लगेंगे और राहू-केतु का अशुभत्व कम होते है । बच्चा जिद्दी होने पर नित्य मोर पंखों से बने पंखे से हवा करनी चाहिए या अपने सीलिंग फैन पर ही मोर पंख पंखुड़ियों पर चिपका देना चाहिए। नवजात शिशु के सिरहाने चांदी के तावीज में एक मोर पंख भरकर रखने शिशु को डर नहीं लगेगा नजर इत्यादि का डर भी नहीं रहेगा। कोई शत्रु ज्यादा तंग कर रहा हो मोर के पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिंदूर से मंगलवार या शनिवार रात्रि में उस शत्रु का नाम लिखकर के अपने घर के मन्दिर में रात भर रखें। प्रात:काल उठकर बिना नहाये-धोये बहते पानी में बहा देने से शत्रु-शत्रुता छोड़कर मित्रवत् व्यवहार करने लगता है । मोर पंख से जीवन के अमंगलों को हटाकर मंगलमय स्थिति होते हैं। मोरपंख, घर के वास्तु दोष को दूर करता है । ज्योतिष शास्त्र , वास्तु, धर्म, पुराण और संस्कृति में मोर का अत्यधिक महत्व माना गया है। मोर पंख घर में रखने से अमंगल टल जाता है।मोर पक्षी को मोर, मयूर, पिकॉक कहते है । मां सरस्वती, श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी, इन्द्र देव, कार्तिकेय, श्री गणेश प्रिय हैं। पौराणिक काल में महर्षियों द्वारा मोरपंख की कलम बनाकर बड़े-बड़े ग्रंथ लिखे गए हैं।मोर स्थान को बुरी शक्तियों और प्रतिकूल चीजों के प्रभाव से बचाकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पश्चिमी देशों के लोग मोरपंख को दुर्भाग्य का सूचक मानते थे। लेकिन मोर पंख की शुभता का अनुभव होने के बाद उसे शुभ चिन्ह के रूप में स्वीकार कर लिया गया। ग्रीक के अनुसार मोर को ‘हेरा’ के साथ संबंधित किया जाता है। आर्गस की सौ आंखें द्वारा हेरा ने मोर की रचना की। ग्रीक लोग मोर के पंखों को स्वर्ग और सितारों की निगाहों के साथ जोड़ते हैं। सनातन धर्म में मोर को धन की देवी लक्ष्मी और विद्या की देवी सरस्वती के साथ जोड़कर देखा जाता है। लक्ष्मी सौभाग्य, खुशहाली और धन धान्य व संपन्नता के लिए पूजी जाती हैं। मोर के पंखों का प्रयोग लक्ष्मी की इन्हीं विशेषताओं को हासिल करने के लिए किया जाता है। मोर पंख को बांसुरी के साथ घर में रखने से रिश्तों में प्रेम रस घुल जाता है। एशिया के देशों में मोर के पंखों को अध्यात्म के साथ संबंधित किया जाता है। क्वान-यिन की अध्यात्म का प्रतीक मोर है। क्वान यिन : क्वान-यिन प्रेम, प्रतिष्ठा, धीरज और स्नेह का सूचक है। वैवाहिक जीवन में तनाव में शयनकक्ष में मोरपंख से से पति पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है। यदि शत्रुता समाप्त करने के लिए मोरपंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिंदूर से उस शत्रु का नाम मंगलवार या शनिवार रात्रि में लिखकर उसे घर के पूजा स्थल में रखें व सुबह उठकर उसे चलते पानी मे प्रवाहित कर आएं।. वास्तुशास्त्र के अनुसार मोरपंख को घर की दक्षिण दिशा में स्थित तिजोरी में खड़ा करके रखने से धन की कमी नहीं होती है। राहु का दोष होने पर मोरपंख घर की पूर्वी और उत्तर पश्चिम की दीवार पर लगाएं। घर में मोरपंख है तो आपके घर में बुरी शक्ति प्रवेश नहीं कर पाती है। यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार मोरपंख को घर में रखने से आपके घर के सारे दोष दूर हो जाते है। यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार मे या अपनी जेब व डायरी मे रखा हो तो राहू कभी परेशान नहीं करता है। मोरपंख को घर में रखने से परिवार के सदस्यों की सेहत भी अच्छी रहती है। ग्रहों के अशुभ प्रभाव होने पर मोरपंख पर 21 बार ग्रह का मंत्र बोलकर पानी का छींटें दें, और श्रेष्ठ स्थान पर स्थापित करते है । आर्थिक लाभ के लिए किसी मंदिर में जाकर मोरपंख को राधा कृष्ण के मुकुट में लगाएं और 40 दिन बाद इसे लॉकर या तिजोरी में रख दें।. बुरी नजर से बच्चों को बचाने के लिए नवजात बालक को मोरपंख चांदी के ताबीज में पहनाएं। घर के मुख्य द्वार पर 3 मोरपंख लगाकर ॐ द्वारपालाय नम: जाग्रय स्थापयै स्वाहा मंत्र लिखें और नीचे गणेश जी की मूर्ति लगाएं। आग्नेय कोण में मांरपंख लगाने से घर के वास्तु दोष को ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा ईशान कोण में कृष्ण भगवान की फोटो के साथ मोरपंख लगाने सुख मिलता है । बौद्ध धर्म के अनुसार मोर अपनी अपने सारे पंखों को खोल देता है, इसलिए उसके पंख विचारों और मान्यताओं में खुलेपन का ही प्रतीक माने जाते हैं।. ईसाई धर्म में मोर के पंख, अमरता, पुनर्जीवन और अध्यात्मिक शिक्षा से संबंध रखते हैं। इस्लाम धर्म में मोर के खूबसूरत पंख जन्नत के दरवाजे के बाहर अद्भुत शाही बगीचे का प्रतीक माने जाते हैं। घरों में मोरपंख रखने से कीड़े-मकोड़े घर में दाखिल नहीं होते। मोर पंख में नवग्रह का वास , मोर पंख से समस्याओं का समाधान एवं प्लाट, मकान की भूमि या फर्श का ढाल का नही नुकसान होता है । मोर द्वारा नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है । मयूर भगवान शिव के पुत्र देव सेनापति कार्तिक का वाहन और देवों , देवियों का प्रिय है ।
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