सृष्टि के सफल संचालन और मानवीय जीवन की सभ्यता , संस्कृति का उदय के लिये सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी द्वारा वैवस्वत मन्वन्तर में प्रचेताओं के पुत्र प्रजापति दक्ष की 60 पुत्रियां सुंदर और सुशील उत्पन्न हुई थी । प्रजापति दक्ष द्वारा अपनी 13 पुत्रियों का विवाह ऋषि कश्यप से किया था । ब्रह्म , विष्णु , शिव, लिंग पुराणों के अनुसार परमपिता ब्रह्मा के दाहिने पैर के अंगूठे से प्रजापति दक्ष उत्पन्न हुए थे। प्रजापति दक्ष की प्रसूति और वीरणी पत्नियां थी । प्रजापति दक्ष की पत्नी प्रसूति की चौबीस कन्याएँ और वीरणी से साठ कन्याएँ थी । ब्रह्मा जी के पुत्र प्रजापति दक्ष की पत्नी प्रसूति के गर्भ से उत्पन्न पुत्रियाँ में श्रद्धा , लक्ष्मी , धृति , तुष्टि , पुष्टि , मेधा , क्रिया , बुद्धि , लज्जा , वपु , शांति , सिद्धि , कीर्ति को धर्म के साथ , ख्याति से महर्षि भृगु , सती से भगवान रूद्र , सम्भूति से महर्षि मरीचि , स्मृति से महर्षि अंगीरस , प्रीति से महर्षि पुलत्स्य , क्षमा से महर्षि पुलह , सन्नति से कृतु , अनुसूया से महर्षि अत्रि ,उर्जा से महर्षि वशिष्ठ , स्वाहा से अग्नि , स्वधा से पितृस के साथ की थी । प्रजापति दक्ष की पत्नी विरिणी के गर्भ से उत्पन्न पुत्रियाँ में मरुवती ,वसु ,जामी ,लंबा ,भानु ,अरुंधती ,संकल्प ,महूर्त ,संध्या और ,विश्वा को धर्म के साथ हुई थी । कश्यप ऋषि की पत्नीमें ,अदिति ,दिति ,दनु ,काष्ठा ,अरिष्टा , ,इला ,मुनि ,क्रोधवषा ,तामरा ,सुरभि , ,सरमा , ,तिमि थी ।चंद्रमाकीपत्नियोंमेंकृतिका ,रोहिणी ,मृगशिरा ,आद्रा ,पुनर्वसु ,सुन्रिता ,पुष्य , ,अश्लेषा ,मेघा ,स्वाति ,चित्रा ,फाल्गुनी ,हस्ता ,राधा ,विशाखा ,अनुराधा ,ज्येष्ठा ,मुला ,अषाढ़ ,अभिजीत ,श्रावण ,सर्विष्ठ ,सताभिषक ,प्रोष्ठपदस ,रेवती ,अश्वयुज भरणी थी । रति से कामदेव , स्वरूपा से भूत , भूता से भूत , स्वधा से अंगिरा प्रजापति) , अर्चि तथा दिशाना से कृशाश्वा ,विनीता , तार्क्ष्य , कद्रू ,पतंगी और यामिनी से तार्क्ष्य कश्यप के साथ विवाह हुआ था ।ऋषि कश्यप ब्रह्मा के मानस पुत्र मरीचि के पुत्र ऋषि कश्यप की सत्रह पत्निया मे 13 दक्ष प्रजापति की पुत्रिया थी । ब्रह्मा ने सप्तऋषियों के अलावा प्रकृति को जीवन बसने के लिए 11 प्रजापतियों की रचना में दक्ष प्रजापति की तेरह पुत्रियों का विवाह ऋषि कश्यप के साथ अदिति , दिति , कद्रु , दनु , अरिष्टा, सुरसा , सुरभि , विनता, ताम्रा, क्रोधवशा इदा, विश्वा और मुनि से हुई थी । ऋग्वेद और पुरणों स्मृतियों के अनुसार ब्रह्मा जी की मानस पुत्र मरीचि पुत्र वैदिक ऋषि कश्यप थे। ऋषि कश्यप द्वारा धार्मिक एंव रहस्यात्मक चरित्र , जगत का विस्तारक , संस्कृति और सभ्यता का विकास किया गया था । ऐतरेय ब्राह्मण के अनुसार कश्यप ऋषि ने राजा 'विश्वकर्मभौवन' का अभिषेक कराया था। ऐतरेय ब्राह्मण में प्रजापति कश्यप है । स यत्कुर्मो नाम। प्रजापतिः प्रजा असृजत। यदसृजत् अकरोत् तद् यदकरोत् तस्मात् कूर्मः कश्यपो वै कूर्म्स्तस्मादाहुः सर्वाः प्रजाः कश्यपः। महाभारत एवं पुराणों में ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में 'मरीचि' ने अपनी इच्छा से कश्यप नामक प्रजापति उत्पन्न किया। कश्यप ने दक्ष प्रजापति की 17 पुत्रियों से विवाह किया। दक्ष प्रजापति की कन्या व ऋषि कश्यप की भर्या अदिति से आदित्य , देवता , दिति से दैत्य , दनु से दानव , काष्ठा से अश्व आदि , अनिष्ठा से गन्धर्व , सुरसा से राक्षस , इला से वृक्ष , मुनि से अप्सरागण , क्रोधवशा से सर्प , सुरभि से गौ और महिष , सरमा से श्वापद (हिंस्त्र पशु) , ताम्रा से श्येन-गृध्र आदि , तिमि से यादोगण (जलजन्तु) , विनता से गरुड़ और अरुण , कद्रु से नाग , पतंगी से पतंग , यामिनी से शलभ उत्पन्न हुआ था । कश्यप की भर्या अदिति के पुत्रों में देव द्वारा देव संस्कृति , दिति के पुत्रों ने दैत्य संस्कृति , दनु के पुत्रों ने दानव संस्कृति , सुरसा के पुत्रों द्वारा राक्षस संस्कृति , अनिष्ठा के पुत्रों ने गंधर्व संस्कृति , मुनि से उत्पन्न पुत्रियों द्वारा अप्सरा संस्कृति , कद्रू के पुत्रों ने नाग संस्कृति , कश्यप की विभन्न भर्या के पुत्रों द्वारा गरुड़ , अरुण, जल , पशु , वृक्ष , पक्षी जल जंतु ,सरमा , मरुत , ऋक्ष , वन , श्येन संस्कृति का उद्भव किया है । ऋषि कश्यप की भार्या देव माता अदिति के पुत्रों द्वारा देव संस्कृति , सौर संस्कृति , मानव संस्कृति का उदय किया गया । देव संस्कृति में इंद्र , कुवेर , बावन , वसु , 12 आदित्य , दैत्य संस्कृति के पोषक हिरण्यकश्यप , हिरण्याक्ष , प्रह्लाद , वली , विरोचन था । असुर संस्कृति के पोषक गय , बाण , दानव संस्कृति माल्यवान , राक्षस संस्कृति का रावण , कुम्भकरण , नाग संस्कृति के वासु संचालक थे । त्रेता युग में सौर संस्कृति के पोषक भगवान राम , सुग्रीव थे । रावण द्वारा रक्ष संस्कृति का निर्माण किया था । वायु द्वारा मरुत संस्कृति का उद्भव किया गया था । ऋग्वेद में अवत्सार कश्यप , अत्रि ऋषि के पुत्र गय आत्रेय का उल्लेख है । बिहार का प्राचीन मगध साम्राज्य में गया में गय और अवत्सार कश्यप का कर्म भूमि था । ऋग्वैदिक ऋषि बुध , ऋषि गौतम के पुत्र वामदेव गौतम का कर्म भूमि कीकट प्रदेश था ।
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