शुक्रवार, जुलाई 30, 2021

हरियाली तीज और सौभाग्य...


    पुरणों ,स्मृति ग्रंथों में हरियाली तीज का उल्लेख किया गया है । राजा दक्ष की पुत्री और चंद्रमा की पत्नी  श्रवणा के नाम पर समर्पित श्रावण , सावन माह भगवान शिव का प्रिय है । राजा हिमाचल की पुत्री माता पार्वती  के लिए श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया को हरियाली तीज उत्सव प्रिय है। श्रावण में प्रकृति हरी चादर से आच्छादित होने के अवसर पर महिलाओं के मन मयूर नृत्य तथा वृक्ष की शाखाओं में झूलते हैं।पूर्वी उत्तर प्रदेश में कजली तीज   मनाते हैं । सुहागन स्त्रियों के लिए आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। प्रकृति में  हरियाली होने के कारण  हरियाली तीज , कजली तीज  मेहंदी पर्व पर महिलाएं झूला झूलती एवं लोकगीत गाती हुई और मनाती हैं। महिलाये अपने हाथों, कलाइयों और पैरों आदि पर विभिन्न कलात्मक रीति से मेंहदी रचाती हैं । सुहागिन महिलाएं मेहँदी रचाने के पश्चात्  बुजुर्ग महिलाओं से आशीर्वाद लेना परम्परा है। कुमारी कन्याएं , विवाहित युवा , युवतियां  और वृद्ध महिलाएं सम्मिलित होती हैं। नव विवाहित युवतियां प्रथम सावन में मायके आकर हरियाली तीज में सम्मिलित होने की परम्परा है। हर‌ियाली तीज के द‌िन सुहागन स्‍त्र‌ियां हरे रंग का श्रृंगार करती हैं। इसके पीछे धार्म‌िक कारण के साथ ही वैज्ञान‌िक कारण भी शाम‌िल है। मेंहदी सुहाग का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। इसलिए महिलाएं सुहाग पर्व में मेंहदी जरूर लगाती है। इसकी शीतल तासीर प्रेम और उमंग को संतुलन प्रदान करने का भी काम करती है। ऐसा माना जाता है कि सावन में काम की भावना बढ़ जाती है। मेंहदी इस भावना को नियंत्रित करता है। हरियाली तीज का नियम है कि क्रोध को मन में नहीं आने दें। मेंहदी का औषधीय गुण इसमें महिलाओं की मदद करता है।इस व्रत में सास और बड़े नई दुल्हन को वस्‍त्र, हरी चूड़‌ियां, श्रृंगार सामग्री और म‌िठाइयां भेंट करती हैं। इनका उद्देश्य होता है दुल्हन का श्रृंगार और सुहाग हमेशा बना रहे और वंश की वृद्ध‌ि हो। माता पार्वती सैकड़ों वर्षों की साधना के पश्चात् भगवान् शिव से मिली थीं । सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव -पार्वती की पूजा करती हैं उनका सुहाग लम्बी अवधि तक बना रहता है । माता  पार्वती के कहने पर श‌िव जी ने आशीर्वाद द‌िया क‌ि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी और श‌िव पार्वती की पूजा करेगी उनके व‌िवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी साथ ही योग्य वर की प्राप्त‌ि होगी। सुहागन स्‍त्र‌ियों को इस व्रत से सौभाग्य की प्राप्त‌ि होगी और लंबे समय तक पत‌ि के साथ वैवाह‌िक जीवन का सुख प्राप्त करेगी।  कुंवारी और सुहागन  हरियाली तीज व्रत का रखती है । सावन में हरियाली तीज  को महिलाएं मनचाहा वर और सौभाग्य पाने के लिए मनाती हैं । श्रावण शुक्ल तृतीया तिथि को माता पार्वती ने कठोर तपस्या से भगवान शिव को पति के रूप में पाया था । लड़किया और विवाहित महिलाएं हरियाली तीज के  दिन उपवास रख कर  श्रृंगार करने के बाद पेड़, नदी और जल के देवता वरुण की पूजा करती है । माता पार्वती सैकड़ों साल की साधना के बाद भगवान शिव से मिली थीं । माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया, परंतु माता पार्वती  को पति के रूप में शिव मिल न सके थे ।.माता पार्वती ने 108 वीं बार जब जन्म लिया और उत्तराखंड का हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में घोर तपस्या की थी । पुराणों के अनुसार, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान शिव देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए, साथ ही उन्हें अपनी पत्नी बनाने का वरदान दिया था । हरियाली तीज को मेंहदी रस्म  कहते   हैं । महिलाएं  अपने हाथों और पैरों में मेंहदी रचाती हैं । सुहागिन महिलाएं मेंहदी रचाने के बाद अपने कुल की बुजुर्ग महिलाओं से आशीर्वाद लेती हैं । युवतियां और महिलाएं  झूला-झूलती है । हरियाली तीज का उत्सव राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा , उत्तराखंड , हिमाचल प्रदेश में  मनायी जाती है । हरियाली तीज के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं । महिलाओं के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां आदि उनके ससुराल भेजा जाता है । हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं । रात जागरण कर मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करती हैं । पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है । बिहार , झारखण्ड में महिलाएं और युवतियां हरियाली तीज को वृक्ष की डाली पर झूला बना कर कजरी गीत गा कर झुलुआ झूलती है । भारतीय संस्कृति और सभ्यता में युवतियां और सधवा महिलाएं मेहंदी , हरि चूड़ियां , हरे वस्त्र पहनती है ।सावन माह में भारत , नेपाल , भूटान आदि क्षेत्रों में मेहंदी की विभिन्न डिजाइन अपने शरीर हाथों , पैरों में लगा कर सावन को स्वागत करते है । आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार मेहंदी ऐश्वर्य , सिद्धिदायी और निरोगता का प्रतीक है । युवक , युवतियां , महिलाएं मेहंदी लगते है ।







ऐश्वर्य , सिद्धिदायी और निरोगता का प्रतीक है । युवक , युवतियां , महिलाएं मेहंदी लगते है ।

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