कोरोना वायरस से मानव जीवन असुरक्षित
सत्येन्द्र कुमार पाठक
विश्व के मानव जीवन कोरोना वायरस से ग्रसित होने के कगार पर खड़ा है। इस वायरस से बचने के लिए उपाय किए जा रहे है। भारतीय मनीषियों द्वारा पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन पर बल दिया गया है। वृक्षारोपण, जल संचयन और प्रकृति पूजन के प्रति सक्रियता है। वेदों, पुराणों, शास्त्रों के अनुसार पीपल, बरगद, आवला, केले, तुलसी , गऊ , नाग, सूर्य, चद्रमा, अग्नि, वायु, भूमि, जल, आकाश की पूजन और संरक्षण से किसी प्रकार का वायरस मानव जीवन में प्रवेश नहीं कर सकता है। इंसान के जीवन में ऊर्जा के लिए कई कार्य प्रकृति द्वारा दिया गया है परन्तु इंसान प्रकृति को संरक्षण देने में निष्क्रिय हो गया है । आज यही कारण है कि इंसान वायरस से ग्रसित होने के कगार पर पहुंच गया है। पूर्व में कोंगो से वायरस एच अाई वी , मलेशिया से निपह , सूडान से इबॉला , हांग कांग से वर्डफ्लू, मनीला से डेंगू और चीन से कोरोना वायरस से इंसान का जीवन ग्रसित हो गया है। रेविज वायरस से इंसान जानवरो जैसा व्यवहार करने लगता है, अबूला वायरस से बुखार और कमजोरी होती है वहीं मर्गबूर्ग वायरस से आंतों की समस्या, नीपह वायरस से मानसिक उलझन, क्रीमियन वायरस से नाक मुंह नीला हो कर खून बहाने, और सार्स से सासे चलना मुश्किल, जीका वायरस से इंसान के त्वचा पर लाल रंग का चकते साथ साथ जोड़ो पर दर्द तथा एंफुलूंजा वायरस से गले में दर्दे और कोरोना वायरस से सास की नली में इन्फेक्शन और छुआ छूत की विमारी से ग्रस्त हो जाता है। भारतीय संस्कृति में विभिन्न त्योहार के लिए सकाहारी और प्रकृति पूजन के प्रति सचेष्ट किया गए हैं जिससे इंसान का जीवन संरक्षित रहे और किसी प्रकार का वायरस से इंसान ग्रसित नहीं वल्कि स्वस्थ्य रहे। नमस्कार से वायरस का प्रवेश नहीं होता है। यह भारतीय संस्कृति की पहचान है । हमें प्रकृति पूजन, प्रेमी, और संरक्षण बनाना होगा। प्रकृति की संरक्षण नहीं करेंगे तब प्रकृति इंसान को नष्ट करेगी और वायरस मानव जीवन को आक्रांत कर देगा । प्रकृति संरक्षण से विश्व , परिवार और मानव जीवन सुरक्षित रहेगा। पवित्रता अनिवार्य है। साकाहारी बने, जिओ और जीने दो का सशक्त माध्यम बने एवं जीवों की रक्षा करे , मांसाहारी नहीं बने वल्कि साकाहारी बन कर अपने आप को सुरक्षित रहे। तभी कोरोना वायरस से इंसान जीवन को संरक्षित कर सकता है। इतिहास गवाह है कि विश्व में वायरस ने मानव जीवन को प्रभावित किया है जिससे जीवन असुरक्षित हुआ है। 1720 ई. में फ्रांस के मर्सिले से प्लेग संक्रमण , 1820 ई. में जापान, भारत, थाईलैंड, जावा आदि देशों में हैजा संक्रमण , 1920 ई. में जावा से स्पेनिश फ्लू संक्रमण से इंसान का जीवन संक्रमित होने से लाखों की जाने गई थी । 2020 ई. में चीन के बुहान से निकला कोरोना वायरस से विश्व के मानव जीवन को प्रभावित कर 07 जून 2020 तक विश्व के 70.04 लाख संक्रमित हुए एवं 402663 लोगों की मौतें हो गई । भारत में 241048 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए और 6895 की मौतें हुई । बिहार में 4972 संक्रमित हुए तथा 31 मौते कोरोना वायरस से हुई। भारत के प्रधान मंत्री माननीय नरेंद्र मोदी की सक्रियता और भारतीय जनता की कुशलता ने कोरोना वायरस को समाप्त करने के लिए 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू और 23 मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक लॉक डाउन कर मानव जीवन की संरक्षित करने के लिए कार्य चल रहा है। कोई रोड पर ना निकले , घर में रहे, नमस्कार करें, मास्क लगाए, हाथ धोए तभी मानव जीवन कोरोना वायरस से मुक्त होंगे। 01 जून 2020 के बाद अनलॉक 01 प्रारंभ होने से कोरोना वायरस के साथ 75 दिनों के बाद 08 जून 2020 से सभी दुकानें, यातायात व्यवस्था और धार्मिक स्थल, पूजा इबादत स्थल गतिविधियां प्रारंभ हो गई। विश्व वैश्विक संक्रमण से जूझ रहा है। संसार के सभी इंसान कष्ट से बचना चाहता है परन्तु कष्ट के कारणों से नहीं बचन चाहता है यही कारण है इंसान कष्ट से ग्रसित है। नकारात्मकता का सामना करना पड़ेगा तभी मानव जीवन सुरक्षित रहेगा। हमें सतर्कता के साथ व्यस्तता प्रत्येक व्यक्ति का माप तौल की तरह अपनाना चाहिए। व्यक्ति सुरक्षित जग सुरक्षित रहेगा। संकट से निजात पाने के लिए जीवन में सात्विक बदलाव लाकर सुरक्षित और समाज को संरक्षित करने के लिए अग्रसर रहा करे तभी व्यक्ति कोविड -19 को मात दे सकते है। सावधानी बरतें:सुरक्षित रहें ।
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