सांस्कृतिक परम्परा और सभ्यता दर्शाता है मानव की कला कृतियां
सत्येन्द्र कुमार पाठक
सांस्कृतिक परंपराओं, जीवंत या लुप्त सभ्यता को प्राचीन कला किर्तियों से मानव जीवन की सभ्यता मूर्त रुप से पहचानते है। विश्व में धरोहरों की संरक्षण के लिए युनेस्को द्वारा 14 मई 1954 में पहल किया गया है। भारत के 30 सांस्कृतिक स्थल ,08 प्राकृतिक स्थल को युनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित किया गया है। भारत के महाराष्ट्र का अजंता की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं , उत्तरप्रदेश का ताजमहल, आगरा का किला को 1983 ई. में ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर, तमिनाडु का महाबलीपुरम स्मारक समूह को 1984 ई. में विश्व विरासत घोषित किया गया है। 1986 ई. में गोवा के गिरिजाघर तथा कान्वेंट , मध्यप्रदेश के खजुराहो स्मारक समूह, खजुराहो मंदिर, कर्नाटक के हम्पी स्मारक समूह, फतेहपुर सीकरी , 1987 ई. में महाराष्ट्र के एलिफेंटा की गुफाएं, कर्नाटक के षट्टड़कल स्मारक समूह, तमिलनाडू का वृहद चोलमंदिर समूह , 1989 ई. में मध्यप्रदेश के सांची का बौद्ध स्मारक, 1993 में दिल्ली का हुमायूं का मक़बरा, कुतुबमीनार ,1999 में बंगाल के दार्जलिंग हिमालई रेलमार्ग , 2002 में बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर एवं परिसर , 2003 में मध्यप्रदेश के भीमबेटका का राक शेल्टर, 2004 में महाराष्ट्र के मुंबई का विक्टोरिया टर्मिनल, गुजरात का चांपानेर में पावागढ़ पुरातात्विक उद्यान,2005 में नीलगिरी माउंटेन रेलवे, 2007 में लालकिला ,2010 में राजस्थान के जयपुर का जनतरमंतर , 2013 में राजस्थान के चितौड़गढ़, कुंभलगढ़, रणथंभौर, अम्बर, जैसलमेर तथा गगरोन की पहाड़ी दुर्ग, 2014 में गुजरात का रानी की बाबड़ी ,2016 में चंडीगढ़ रजाधनी परिसर का ली कोरबुजिए का वास्तुशिल्प, बिहार के नालंदा जिले का नालंदा महाविहार का पुरातात्विक स्थल, नालंदा विश्वविद्यालय ,2017 में अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर तथा 2019 में राजस्थान का जयपुर विश सांस्कृतिक विरासत घोषित है। भारत के 1985 में असम का मानस वन्यजीव अभयारण्य , काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान का केवला देव राष्ट्रीय उद्यान,1987 में बंगाल का सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान, 1988 में उत्तराखंड का नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान,2005 में फूलों की घाटी, 2012 में पश्चिमी घाट अगस्थ्यमले, पेरियार, अन्नामलाई, नीलगिरी, तलकावेरी, कुद्रेमुख तथा सह्याद्रि 2014 में हिमाचल प्रदेश का वृहद हिमालय राष्ट्रीय उद्यान तथा 2016 ई. में सिक्किम का कंचनबंगा राष्ट्रीय उद्यान को प्राकृतिक स्थल विश्व विरासत में है। बिहार के गया जिले का बोधगया स्थित भगवान् बुद्ध का ज्ञान स्थल एवम् महाबोधि तथा नालंदा विश्वविद्यालय एवम् प्राचीन धरोहर को युनेको द्वारा विश्व विरासत घोषित कर अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर रखा गया है। बिहार की सांस्कृतिक संपदा अत्यंत प्राचीन काल से समृद्ध है। गया का ब्रह्मयोनि पर्वत श्रंखला पर बने ब्रह्मा( पुरुष) और योनि ( प्रकृति) का रूप है वहीं भगवान् विष्णु पद मंदिर , बराबर पर्वत समूह के श्रंखला पर निर्मित गुफाएं और मूर्तियां देव की सूर्य मंदिर, सारण जिले के चिरांद में नवप्रस्तर युग तथा ताम्र प्रस्तर युग के पत्त्थर के औजार, राजगीर पर्वत समूह में अवस्थित 483 ई. पू. में निर्मित सप्तपर्णी गुफा, गर्म कुंड ,पाल काल में निर्मित भागलपुर का विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना धर्मपाल द्वारा की गई थी। वैशाली के बसाढ़ 6 ठी शताब्दी ई. पू. निर्मित अशोक स्तंभ, स्तूप, विशाल गढ़, नवादा जिले का ककोलत जलप्रपात, कहलगांव में बरारी गुफाओं और गुफामंदिर के लिए प्रसिद्ध है। पाटलिपुत्र के कुंभरार, पटन देवी, तथा मगध की राजधानी पाटलिपुत्र का विस्तार 315 ई. पू. चन्द्रगुप्त मौर्य के कृतित्व है। वैशाली का कुंड ग्राम में जैन धर्म के 24 तीर्थंकर भगवान महावीर की जन्म भूमि प्राचीन विरासत है। भगवान् बुद्ध का निवास एवं प्रिए स्थल वैशाली में रहा है।
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