ब्रह्माण्ड और विश्व के प्रकृति और प्रवृति का परिवर्तन करता है ग्रहण। ग्रहण का रूप पूर्ण, आंशिक और उप छाया है। वैदिक शास्त्रों तथा ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार उप छाया का दर्जा ग्रहण में शामिल नहीं किया जाता है। परन्तु पूर्ण और आंशिक ग्रहण का प्रभाव प्रकृति और मानव जीवन की प्रवृति पर पड़ता है। वैदिक शास्त्रों में चंद्रग्रहण मन और कफ प्रकृति से जुड़ाव बताया गया है। 5 जून से 5 जुलाई 2020 के मध्य अर्थात एक महीने में तीन ग्रहण दो चंद्र ग्रहण एक सूर्य ग्रहण लग रहा है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार एक महीने में तीन से ज्यादा ग्रहण आने से चिंता का विषय बनता है ।
5 जून 2020 जेष्ठ शुक्ल पूर्णिमा शुक्रवार 2077 को उप छाया के रूप में चंद्रग्रहण प्रारंभ रात 11:15 मिनिट समाप्ति 6 जून सुबह 2:34 चंद्र ग्रहण जिसमे शुक्र वक्री और अस्त रहेगा गुरु शनि वक्री रहेंगे तो तीन ग्रह वक्री रहेंगे, जिसके कारण जिसके प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर होगा। शेयर बाजार से जुड़े हुए लोग सावधान रहें। यह ग्रहण वृश्चिक राशि पर बहोत बुरा प्रभाव डालेगा। किसी ख्यातिप्राप्त व्यक्ति की रहस्यात्मक मौत।परिवार वालो के साथ वाद विवाद का सामना करना पड़ेगा तो वृश्चिक राशिवाले सावधान रहेंगे। इस ग्रहण में सूतक नहीं है। जेष्ठ शुक्ल पूर्णिमा 2077 को वट सावित्री दक्षिणात्य , कबीर दास जयंती और उप छाया चंद्रग्रहण है। यह ग्रहण 50 वर्षों के बाद लगा है। 21 जून 2020 आषाढ़ कृष्ण अमावस्या रविवार 2077 को मृगशिरा नक्षत्र मिथुन राशि पर कंकड़ाकृति सूर्य ग्रहण एक साथ छ ग्रह यथा बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु यह छह ग्रह वक्री रहेंगे। इन छह ग्रह का वक्री होना विश्व में अर्थ व्यवस्था में गिरावट, भूकंप, तूफान और प्राकृतिक आपदा एवम् मृत्यु दर की बढ़ोतरी का सूचक है। सूर्य ग्रहण दिन 09:16 से प्रारंभ स्पर्श 10:18 मध्य 12:10 मोक्ष 02:02 तथा अंतिम दृश्य 03:04 पर होगा। 21 जून 2020 को विश्व योग दिवस है। कंकड़ाकृती सूर्य ग्रहण भारत के अतिरिक्त पूर्वोत्तर यूरोप, एशिया, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अमेरिका तथा पैसाफिक स्थानों पर दिखाई पड़ेगा। 5 जुलाई 2020 आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा रविवार 2077 को मिथुन और धनु राशि पर चंद्रग्रहण परिवर्तन सूचक के कारण मंगल का राशि परिवर्तन सूर्य का राशि परिवर्तन गुरु धन राशि मे वापस, लेकिन वक्री रहेंगे। शुक्र मार्गी प्राकृतिक आपदाएं आयेगी। चन्द्र विश्व युद्ध की संभावनाएं तथा वैश्विक शक्तियां हावी होगी।जल प्रलय की संभावना है। यह तीन ग्रहण के कारण उथल-पुथल मच जायेगी । 05 जून से 05 जुलाई 2020 के मध्य में तीन ग्रहण होने के कारण ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार विश्व में अराजकता, उथल पुथल, वर्षा, समुद्री तूफान, चक्रवात, महामारी, जन धन की हानि, आर्थिक संकट, वादविवाद और अनिष्टकारी होने की संभावना है।
ग्रहण में मानव जीवन को संरक्षित करने का महत्व पूर्ण सादगी और प्रकृति के प्रति श्रद्धा अपनाना चाहिए।
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