विश्व के प्राणियों का शरणस्थली और प्राण संरक्षण करती है पृथ्वी का संरक्षण और संवर्धन के लिए इंसान को सक्रिय होना चाहिए ताकि पृथ्वी इंसान सुरक्षित रह सके। भारतीय संस्कृति में पृथ्वी मां की तरह सभी संक्रमण से मुक्ति दिलाती हैं और भोजन पानी और अन्य सू कार्यों के प्रति सक्रियता दिलाती है। वेदों और पुराणों में पृथ्वी माता के रूप में वंदित है।
22 अप्रैल है इस दिन पूरे विश्व के 192 देशों में विश्व पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है आज ही के दिन 22 अप्रैल 1970 में प्रथम बार अमेरिका में यह दिवस पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया गया | अमेरिका के कॉलेज परिसरों से छात्र समूह जनता में जागरूकता बढ़ाने के लिए तथा पर्यावरण ह्रास का विरोध करने के लिए भाग लिया था। दूसरे समूह ने तेल गिरावट, जहरीले सामानों का निष्पादन, औद्योगिकीकरण के कारण वायु और जल प्रदूषण, कच्चा मैला, कीटनाशकों के इस्तेमाल और उत्पादन इत्यादि के लिये भी विरोध किया था। तब से 22 अप्रैल को आधिकारिक रुप से पृथ्वी दिवस के रुप में मनाना जारी है।
यह पृथ्वी दिवस मनाने के कारण क्या थे पहले इसे समझते हैं पृथ्वी दिवस इसलिए मनाया जाता है कि पूरे ब्रह्मांड में जीवन सिर्फ पृथ्वी पर हैं और इस पृथ्वी का पर्यावरण इकोसिस्टम को बचाने के लिए पृथ्वी दिवस के रूप में इसकी शुरुआत 22 अप्रैल 1970 को किया गया यह शुरुआत सर्वप्रथम अमेरिका ने किया धीरे धीरे आज 192 देशों में यह दिवस मनाना शुरू कर दिया है लेकिन हमारे देश भारत में हजारों साल पहले से पर्यावरण और इको सिस्टम को सही बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के धार्मिक आस्था से जोड़ा कर पृथ्वी को बेहतर बनाने का कार्य गया भारत में प्रकृति के हर एक चीजों को चाहे वह पेड़ हो पहाड़ हो नदी हो तालाब हो जल हो पशु, पक्षी हो सभी को देवता के रूप में पूजा गया या किसी न किसी देवता के वाहन के रूप में पूजा गया क्योंकि उस समय के ऋषि मुनि यह समझते थे कि मानव को कल्याण इस पृथ्वी पर होना है तो इन सभी जीवो को जल को वायु को मिट्टी को सम्मान देना होगा क्योंकि उस समय वैज्ञानिक रूप से इतना जागरूक लोग नहीं थे जितना आज है इस कारण से इन सभी को भगवान का रूप या भगवान के वाहन के रूप का दर्जा दिया गया ताकि दिलों में बैठ सके की इको सिस्टम को सही रखने के लिए सभी जीव जंतु को पृथ्वी पर रहना अनिवार्य है|
हमारी पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ आज भी जीवन संभव है। धरती पर जीवन को बचाये रखने के लिये पृथ्वी की प्राकृतिक संपत्ति को बनाये रखना बहुत जरुरी है। इस भीड़ में, भगवान द्वारा बनायी गयी सबसे बुद्धिमान कृति इंसान हैं, अपनी मानवता और अपने ग्रह का ध्यान रखना भूल गया है। धरती जिसने इसको जीवन दिया, आज वो उसी धरती के संसाधनों का निर्दयतापूर्वक इस्तेमाल कर रहा है। अपने ग्रह के महत्व के बारे में मानव जाति को जागरुक करने के लिय पृथ्वी दिवस के रुप में 22 अप्रैल को चिन्हित किया गया है।
धरती पर लोगों के रहन-सहन के लापरवाह नजरिये के साथ ही औद्योगिकीकरण की दिनों-दिन बढती दर के बारे में लोगों को जागरुक बनाने के लिये विस्कॉन्सिन से यूएसए सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने इस दिन की नींव रखी। उनके द्वारा यह कदम अपने ग्रह की संपत्ति का सम्मान, प्रोत्साहन करने के साथ ही लोगों के बीच प्राकृतिक संतुलन के विचार को बढ़ाने के लिये लिया गया। हमेशा स्वस्थ और जीवित रहने के लिये पर्यावरणीय मसलों का ध्यान रखना बहुत जरुरी है क्योंकि क्रूर लोग निर्दयतापूर्वक इसके संसाधनो का प्रयोग कर रहें हैं और शताब्दियों से इसके जीवन समर्थक संसाधनों को जर्जर कर रहें हैं। इसका एक सबसे बड़ा उदाहरण ओजोन परत में क्षरण है जो हमें सूर्य की घातक किरणों से बचाता है। उद्योगों से निकलने वाले जहरीले पदार्थों को मिलने से नदियों का सूखना, पर्यावरण दूषित होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है जो भूमणडलीय तापक्रम में वृद्धि की ओर ले जा रहा है। रोजाना बढ़ते औद्योगिकीकरण वनों की कटाई की ओर ले जा रहें हैं जो अंतत: धरती के तापमान को बढ़ाने का कारण बनेगा। जो धरती पर स्वाश्वत जीवन के लिये खतरा है जिसको कुछ छोटे उपायों को अपनाकर कम किया जा सकता है, जैसे पेड़-पौधे लगाना, वनों की कटाई को रोकना, वायु प्रदूषण को रोकने के लिये वाहनों के इस्तेमाल को कम करना, बिजली के गैर-जरुरी इस्तेमाल को घटाने के द्वारा ऊर्जा संरक्षण को बढ़ाना। यही छोटे कदम बड़े कदम बन सकते हैं अगर इसे पूरे विश्वभर के द्वारा एक साथ अनुसरण किया जाये। आज के दिनों में, सब कुछ या तो प्लास्टिक के थैलों में पैक होता है या दुकानदार के द्वारा इसमें दिया जाता है। प्लास्टिक थैलों का उत्पादन दिनों-दिन बढ़ता चला जा रहा है जो कि हमारे लिये एक बहुत ही शर्मनाक स्थिति है क्योंकि इन वस्तुओं का निष्पादन नहीं किया जा सकता है। यदि इस पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित रखना है तो इसके लिए हम सभी मानव जाति के लोगों ,समाज एवं सरकार एवं विभिन्न प्रकार के संस्था को पर्यावरण की रक्षा के लिए पेड़ पौधे लगाना का जल को प्रदूषण से बचाना होगा संरक्षण करना होगा और जीवन जीने के मूलभूत आवश्यकताओं को ध्यान में रखना होगा क्योंकि जीवन जीने के लिए इस पृथ्वी पर सबसे महत्वपूर्ण जो चीजें हैं वह है शुद्ध वायु एवं शुद्ध पीने योग्य जल इसके बाद आता है भोजन जो कि हमें इस धरती से ही मिलता है यदि यह तीनो चीज़ प्रदूषित हो जाए तो इस पृथ्वी पर जीवन जीना कठिनाइयों भरा हो जाएगा इसके लिए कई देश , राज एवं लोगों द्वारा कार्य भी किया जाता रहा है जिसमें एक उदाहरण के रूप में बिहार राज में जल जीवन एवं हरियाली कार्यक्रम है जो वर्ष 2019 में शुरू किया गया है इस कार्यक्रम के तहत तालाब पेड़ पौधों एवं पुराने कुओं का संरक्षण एवं इसमें सुधार करना है इसके लिए बिहार सरकार द्वारा विभिन्न विभागों एवं संस्थानों से यह कार्यक्रम का क्रियान्वयन कराया जा रहा है जिसमें तालाब का उन्मुखीकरण एवं पेड़ पौधों को लगाना एवं संरक्षण करना इत्यादि है जो काबिले तारीफ है इस तरीके से और कई कार्यक्रम इस पृथ्वी को बेहतर बनाने के लिए किया जा रहा है |
पृथ्वी का इकोसिस्टम बेहतर बनाने के लिए पेड़ पौधों का होना बहुत ही महत्वपूर्ण है इसमें स्वयं मेरे द्वारा एक पहल किया गया है मेरा एक पौत्र दिव्यांशु के जन्म दिवस प्रत्येक साल 26 दिसंबर को मनाया जाता है इस दिवस के दिन मेरे द्वारा वृक्षारोपण किया जाता है मैं इसे पहली बार वर्ष 2017 मनाया था जब मेरा पौत्र दिव्यांशु 1 साल का था तो उसका जन्म दिवस पर मैं एक पौधा अपने घर पर लगाया था दूसरा जन्म दिवस पर दो पौधा लगाया तीसरा जन्म दिवस पर 3 पौधा लगाया वर्ष 2019 में 26 दिसंबर को 3 पौधा लगाया इसी तरीके से मैं अपने बच्चे के जब भी जन्म दिवस मनाऊगा, जितना वर्ष का बच्चा हो जाएगा उतना पौधे इस धरती पर लगाऊंगा इसको देखते हुए मेरे गांव मेरे परिवार एवं कई साथियों ने अपने बच्चे के जन्म दिवस पर भी इस तरीके का पहल करना शुरू किया है जोकि काफी सराहनीय पहल हो सकता है. अगर प्रत्येक इंसान जन्म दिवस,, शादी दिवस या किसी समारोह की यादगार बनाने के लिए एक वृक्ष लगते है तब आने वाली पीढ़ी अनुसरण कर पृथ्वी संरक्षित करेंगे।
नीस
जवाब देंहटाएंपृथ्वी जीवनदायिनी ग्रह है। इसके संरक्षण का संकल्प मानव को लेना होगा
जवाब देंहटाएंअन्यथा पृथ्वी विनष्ट हो जाएगी। प्रकृति और जीवन के बीच का संबंध मधुर होंगे तभी जीवन बचेगा।जल, जंगल और जमीन है तभी जन है। मैं आपके संलेख की सराहना करता हूं।