सोमवार, मई 24, 2021

कर्मवाद और उपासनावाद का स्थल हेमकुंड...


           भारतीय वाङ्गमय साहित्य और संस्कृति में हेमकुण्ड का स्थल कर्म और साधना के संबंध का उल्लेख किया है । सप्त ऋषियों के द्वारा सिंचित और साधना से परिपूर्ण स्थल शांति , धैर्य और उन्नति का मार्ग प्रसस्त करता हेमकुण्ड स्थल है ।  सतयुग में शेषनाग , त्रेतायुग में लक्ष्मण और कलियुग में सर्वदमन गुरु गोविंद सिंह का पूर्व जन्म और साधना स्थल हेमकुण्ड है ।  उत्तराखंड, के चमोली जिले का हेमकुंट पर्वत पर हेमकुण्ड के किनारे हेमकुंड साहिब  स्थित सिखों का  प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। हिमालय पर्वतमाला की हेमकूट सात  पहाड़ियों से घिरा 4632 मीटर अर्थात 15,200 फुट की ऊँचाई पर  बर्फ़ीली झील के हेमकुण्ड साहिब गुरुद्वारा और लोक पाल लक्षमण जी का मंदिर स्थित है।  सात पहाड़ों पर निशान साहिब झूलते हैं। हेमकुण्ड साहिब तक ऋषिकेश-बद्रीनाथ रास्ता पर पड़ते गोबिन्दघाट से केवल पैदल चढ़ाई के द्वारा पहुँचा जाता है।हेमकुण्ड में  गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब सुशोभित है। हेमकुण्ड स्थान का उल्लेख सिख धर्म के 10 वें गुरु गोबिंद सिंह द्वारा रचित दसम ग्रंथ में है। संस्कृत में हेमकुण्ड को  हेम का अर्थ "बर्फ़"और कुंड का अर्थ तलाव , कटोरा  है। दसम ग्रंथ के अनुसार हेमकुण्ड का राजा पाँडु राजो द्वारा हेम कुंड स्थापित किया गया था। त्रेतायुग में भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने  हेमकुण्ड की स्थापना करवाया था। सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह ने यहाँ पूजा अर्चना की थी। गुरूद्वारा हेमकुण्ड घोषित कर दिया गया।  दर्शनीय तीर्थ में चारों ओर से बर्फ़ की ऊँची चोटियों का प्रतिबिम्ब विशालकाय झील में अत्यन्त मनोरम एवं रोमांच से परिपूर्ण  है। हेम  झील में हाथी पर्वत और सप्तऋषि पर्वत श्रृंखलाओं से पानी का जलधारा हेम झील से प्रविहित होने वाला जल को हिमगंगा कहै जाता  हैं। झील के किनारे स्थित लक्ष्मण मंदिर  अत्यन्त दर्शनीय है। अत्याधिक ऊँचाई पर होने के कारण वर्ष में  छ: महीने यहाँ झील बर्फ में जम जाती है। फूलों की घाटी यहाँ का निकटतम पर्यटन स्थल है ।हिमालय में स्थित गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब सिखों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है  यहाँ पर सिखों के दसवें और अंतिम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह ने अपने पिछले जीवन में ध्यान साधना की थी । स्थानीय निवासियों द्वारा बहुत असामान्य, पवित्र, विस्मय और श्रद्धा का स्थान माना जाता है । हेम झील और इसके आसपास के क्षेत्र को लोग लक्ष्मण जी को "लोकपाल" से जानते हैं । हेमकुंड साहिब का गुरु गोबिंद सिंह की आत्मकथा में उल्लेख किया गया था ।सिख इतिहासकार-भाई संतोख सिंह द्वारा 1787-1843 हेमकुण्ड  जगह का विस्तृत वर्णन दुष्ट दमन की कहानी में उल्लेख किया गया था । उन्होंने  गुरु का अर्थ शाब्दिक शब्द 'बुराई के विजेता'  है ।हेमकुंड साहिब को  गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के रूप में जाना जाता है । सिखों के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी (1666-1708) के लिए समर्पित होने का उल्लेख दसम ग्रंथ में स्वयं गुरुजी ने किया है ।
सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार, ये सात पर्वत चोटियों से घिरा हुआ एक हिमनदों झील के साथ 4632 मीटर (15,197 फीट) की ऊंचाई पर हिमालय में स्थित है. इसकी सात पर्वत चोटियों की चट्टान पर  निशान साहिब सजा हुआ है ।हेमकुण्ड  पर गोविन्दघाट से होते हुए ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग पर जाया जता है ।गोविन्दघाट के पास मुख्य शहर जोशीमठ है ।राजा  पांडु  का  अभ्यास योग स्थल था । ,  दसम ग्रंथ में उल्लेख है कि पाण्डु हेमकुंड पहाड़ पर गहरे ध्यान में  भगवान ने उन्हें सिख गुरु गोबिंद सिंह के रूप में यहाँ पर जन्म लेने का आदेश दिया था । पंडित तारा सिंह नरोत्तम जो उन्नीसवीं सदी के निर्मला विद्वान द्वारा  कहा गया है कि हेमकुंड की भौगोलिक स्थिति का पता लगाने वाले पहले सिख थे । श्री गुड़ तीरथ संग्रह में 1884 में प्रकाशित संलेख में हेमकुण्ड का वर्णन 508 सिख धार्मिक स्थलों में से एक के रूप में किया है । सिख विद्वान भाई वीर सिंह ने हेमकुंड के विकास के बारे में खोजकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।भाई वीर सिंह का हेमकुण्ड वर्णन पढ़कर संत सोहन सिंह रिटायर्ड आर्मीमैन ने हेमकुंड साहिब को खोजने का फैसला किया और वर्ष 1934 में सफलता प्राप्त की है ।पांडुकेश्वर में गोविंद घाट के पास संत सोहन सिंह ने स्थानीय लोगों के पूछताछ के बाद वो जगह ढूंढ ली जहां राजा पांडु ने तपस्या की थी और बाद में झील को भी ढूंढ निकला जो लोकपाल के रूप विख्यात थी । 1937 ई. में गुरु ग्रंथ साहिब को स्थापित किया गया । दुनिया में सबसे ज्यादा माने जाने वाले गुरुद्वारे का स्थल है । 1939 ई. में संत सोहन सिंह ने अपनी मौत से पहले हेमकुंड साहिब के विकास का काम जारी रखने के मिशन को मोहन सिंह को सौंप दिया था । गोबिंद धाम में गुरुद्वारा को मोहन सिंह द्वारा निर्मित कराया गया था । 1960 में अपनी मृत्यु से पहले मोहन सिंह ने एक सात सदस्यीय कमेटी बनाकर इस तीर्थ यात्रा के संचालन की निगरानी प्रदान किया है । गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के अलावा हरिद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर, जोशीमठ, गोबिंद घाट, घांघरिया और गोबिंद धाम में गुरुद्वारों में सभी तीर्थयात्रियों के लिए भोजन और आवास उपलब्ध कराने का प्रबंधन हेमकुण्ड साहिब कमिटि द्वारा किया जाता है । बर्फीले पहाड़ों के बीचों-बीच बसा अद्भुत लक्ष्मण मंदिर है । उत्तराखंड के चमोली जिले का हेमकुण्ड में स्थित सिक्खों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा और लक्ष्मण मंदिर है । हेमकुंड साहिब की यात्रा की शुरुआत अलकनंदा नदी के किनारे समुद्र तल से 1828 मीटर उचाई पर जोशीमठ  से बद्रीनाथ रोड के किनारे स्थित  गोविंदघाट गुरुद्वारा है । गोविंदघाट से घांघरिया तक 13 किलोमीटर की खड़ी  चढ़ाई है । गोविंद घाट से आगे का 6 किलोमीटर का सफ़र ज्यादा मुश्किलों से भरा है। उत्तराखंड के पावन स्थल पर  हिंदू धर्म का लक्ष्मण मंदिर है ।, जिसका नाम लक्ष्मण लोकपाल मंदिर के नाम से ख्याति  है।  पौराणिक आलेख के अनुसार भगवान राम के भाई लक्ष्मण ने श्री  राम के साथ 14 साल का वनवास काटा था। प्राचीन समय में हेमकुण्ड  स्थान पर लक्ष्मण मंदिर स्थापित हैं । हेमकुण्ड में शेषनाग ने तपस्या की थी। जिसके बाद शेषनाग ने त्रेता युग में राजा दशरथ की भार्या सुमित्रा के पुत्र लक्ष्मण के रूप में जन्म मिला था। लक्ष्मण मंदिर में भ्यूंडार गांव के ग्रामीण पूजा करते हैं। यह मंदिर हेमकुंड  के परिसर में है। हेमकुंड आने वाले तीर्थयात्री लक्ष्मण मंदिर में मत्था टेकना नहीं भूलते। लक्ष्मण मंदिर हेमकुंड झील के तट पर स्थित है। लक्ष्मण ने रावण के पुत्र मेघनाद को मारने के बाद लक्ष्मण ने अपनी शक्ति वापस पाने के लिए कठोर तप हेम कुंड में किया था। सिख धर्म के 10 वे गुरु गोबिंद सिंह ने पूर्व जन्म में तपस्या की थी तपस्या,  नॉर्दन इंडिया के हिमालयन रेंज में 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब सिखों का मशहूर तीर्थस्थान है। गर्मियों के महिनों में हेमकुण्ड हर साल दुनियाभर से हजारों लोग पहुंचते हैं। सिखों के दसवें गुरु, गोबिंद सिंह की ऑटोबायोग्राफी 'बछित्तर नाटक' के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह ने अपने पिछले जन्म में तपस्या की थी। ईश्वर के आदेश के बाद गुरु गोविंद सिंह ने पटना सिटी बिहार में पौष शुक्ल सप्तमी 1728 दिनांक 22दिसंबर 1666 ई . को धरती पर दूसरा जन्म लिया, ताकि वे लोगों को बुराइयों से बचाने का रास्ता दिखा सकें। सात पहाड़ों से घिरा  हेमकुंड हसि उत्तराखण्ड के चमोली जिले में है हेमकुंड साहिब। 15,200 फीट की ऊंचाई पर सात बर्फीले पहाड़ों से घिरी इस जगह पर एक बड़ा तालाब भी है, जिसे लोकपाल कहते हैं। यहां भगवान लक्ष्मण का एक मंदिर भी है।लक्ष्मण का पुराना अवतार सप्त  सिर वाला शेषनाग  था । शेषनाग लोकपाल झील में तपस्या करते थे और विष्णु भगवान उनकी पीठ पर आराम करते थे। मेघनाथ के साथ युद्ध में घायल होने पर लक्ष्मण को लोकपाल झील के किनारे लाया गया था। यहां हनुमान ने लक्ष्मण जी को  संजीवनी बूटी दी और वे ठीक हो गए। लक्षमण जी के ठीक होने पर  देवताओं ने आसमान से फूल बरसाए थे ।देवों द्वारा फूल बरसाने का स्थान को   फूलों की घाटी कहा गया है । वैली ऑफ फ्लॉवर्स' फूलों की घाटी  के नाम  है। वास्तविक रूप में  स्थल का स्वर्ग हेमकुण्ड  है । 
हेमकुण्ड की यात्रा के दौरान  साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक द्वारा 30 सितंबर 2017 को हेमकुण्ड  भ्रमण किया है । उन्होंने गोविंद घाट से   फॉरविलर से  पुलांग तक , पुलांग से घोड़े की सवारी से गोविंद धाम घांघरिया जा कर विश्राम किया तथा 01 अक्टूबर 2017 को घांघरिया गुरुद्वारा में माथा टेकने के बाद घोड़े की सवारी से 07 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद हेमकुण्ड स्थित हेमकुण्ड में स्नान ध्यान करने के बाद लक्षमण मंदिर में जाकर पूजा अर्चना तथा हेमकुण्ड साहिब गुरुद्वारा में माथा टेक टेक कर उपासना किया ।  हेमकुण्ड में स्थित सप्तऋषि पर्वत की वादियां मनमोहक और शांति और नीले जल युक्त हेमकुण्ड का जल पवित्र , लक्षमण जी , भगवान शिव लिंग , शेषनाग , माता दुर्गा , ऋषियों द्वारा उत्पन्न दुष्टदामन का स्थल , तथा हेमकुण्ड साहिब गुरुद्वारा का दर्शन किया । हेमकुण्ड से पदयात्रा करने के बाद गोविंद घाट का गुरु द्वारा में गुरुगोविंद सिंह का दर्शन , माथा टेकने के बाद 02 अक्टूबर 2017 को जोशी मठ का गुरुद्वारा में विश्राम किया । जोशीमठ स्थित आदिशंकराचार्य द्वारा निर्मित मठ , भगवान नरसिंह , भगवान सूर्य , गणेश , हनुमान जी , वासुदेव , माता काली का दर्शन और उपासना करने के बाद  15500 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित ओली पर्वत की श्रंखला पर भ्रमण करने के दौरान नंदा देवी , त्रिशूल , धौला गिरी और द्रोण पर्वत का अवलोकन किया । बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति मुजफ्फरपुर के ट्रेनिंग ऑफिसर प्रवीण कुमार पाठक के साथ 03 अक्टूबर 2017 को ऋषिकेश गुरुद्वारा में विश्राम करने के पश्चात 04 अक्टूबर 2017 को ऋषिकेश स्थित गंगा में स्नान ध्यान और भगवान शिव का दर्शन , गीता भवन भ्रमण करने के बाद ऋषिकेश गुरुद्वारा में माथा टेका तथा संग्रहालय का भ्रमण किया है ।

                           
                                            हेमकुंड में स्नान करते हुए .










                                
  
            


                      

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