मंगलवार, जून 01, 2021

भीमशंकर ज्योतिर्लिङ्ग : सर्वार्थसिद्धि स्थल ...


               

 भारतीय संस्कृति में भगवसन शिव की उपासना का उल्लेख किया गया है शिव पुराण , लिंगपुराण , शास्त्रों में ज्योतिर्लिङ्ग की उपासना , आराधना  का उल्लेखनीय है । असम  का  कामरूप जिले के गोहाटी के समीप ब्रह्मपुर पर्वत की चोटी पर भीमशंकर ज्योतिर्लिङ्ग स्थापित है ।  आसाम में शिव के   भीमशंकर  मंदिर है।  शिवपुराण के अनुसार कामरूप का राक्षस राज कर्कट की पत्नी पुष्कशी की पुत्री कर्कटी का विवाह विराध से हुआ था । विराध के नर भक्षी और अत्याचार के कारण  त्रेतायुग में भगवान राम द्वारा विराध मारा गया था । विराध की पत्नी कर्कटी की सुंदरता से मोहित हो कर राक्षस राज लंकापति रावण का भाई  कुम्भकर्ण ने कर्कटी के साथ सहवास करने के कारण भीम का जन्म हुआ था । कर्कटी और पुत्र भीम कामरूप में रहने ल्गा था ।  भीम के  पिता विराध और कुम्भकरण  की मृ्त्यु भगवान राम के हाथों होने की घटना अपनी माता कर्कटी से जानकारी के बाद भीम ने श्री भगवान राम का वध करने के लिए आतुर हो गया। भीम ने उद्देश्य को पूरा करने के लिए  अनेक वर्षो तक कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भीम को  ब्रह्मा जी ने विजयी होने का वरदान दिया। वरदान पाने के बाद राक्षस भीम निरंकुश हो गया। उससे मनुष्यों के साथ साथ देवी-देवता भीम से भयभीत रहने लगे।  युद्ध में उसने देवताओं को भी परास्त करना प्रारंभ कर दिया। कर्कटी के पुत्र भीम  द्वारा यज्ञ , उपासना बंद करवा दिया गया था । कामरूप का राजा सुदक्षिणा की पत्नी दक्षिणा शिव की उपासना भगवान शिव की पार्थिव शिवलिंग की करती थी । भीम के अत्याचार से शिव भक्त कामरूप का राजा सुदक्षणा और दक्षिणा तथा  देव भगवान शिव की शरण में गए । भगवान शिव ने राक्षस तानाशाह भीम से युद्ध करने की ठानी। युद्ध  में भगवान शिव ने दुष्ट राक्षस भीम को समाप्त कर दिया ।शिव से सभी देवों ने आग्रह किया कि वे इसी स्थान पर शिवलिंग रूप में विराजित हो़। उनकी प्रार्थना को भगवान शिव ने स्वीकार किया और भगवान शिव ने सुदक्षिणा द्वारा स्थापित पार्थिव शिवलिंग में समावेश हो कर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग  विराजित हो गए  हैं।भीमाशंकर मंदिर नागर शैली की वास्तुकला है।  सुंदर मंदिर का शिखर  नाना फड़नवीस द्वारा 18वीं सदी में बनाया था । महान मराठा शासक शिवाजी ने भीमशंकर मंदिर की पूजा के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान की।नाना फड़नवीस द्वारा निर्मित हेमादपंथि की संरचना में बनाया गया एक बड़ा घंटा भीमशंकर की एक विशेषता है।  हनुमान झील, गुप्त भीमशंकर, भीमा नदी की उत्पत्ति, नागफनी, बॉम्बे प्वाइंट, साक्षी विनायक  स्थानों का दर्शन करते  है। भीमशंकर लाल वन क्षेत्र और वन्यजीव अभयारण्य द्वारा संरक्षित और  पक्षियों, जानवरों, फूलों, पौधे  है। यह जगह श्रद्धालुओं के साथ-साथ ट्रैकर्स प्रेमियों के लिए भी उपयोगी है। यह मंदिर पुणे में बहुत ही प्रसिद्ध है।  भीमाशंकर मंदिर के पास कमलजा मंदिर , डाकनी मंदिर है। कमलजा पार्वती जी का अवतार हैं ।भीमशंकर ज्योतिर्लिंग नाम से दो मंदिर हैं। एक महारष्ट्र के पुणे में स्थित है और दूसरा आसाम के कामरूप जिले में स्थित है।पहले के समय में आसाम कामरूप के नाम से ही जाना जाता था। आसाम के कामरूप में ज्योतिर्लिंग स्थित है ऐसा शिवपुराण के कोटिरुद्रसंहिता में बताया गया है।इस ज्योतिर्लिंग की कथा शिवपुराण के अध्याय 20 के श्लोक 1 से 20 तक और अध्याय 21 के श्लोक 1 से 54 केके अनुसार कर्कटी के पिता कर्कट और माता पुष्कशी  ने अगस्त्य ऋषि के  शिष्य को आहार बनाने के कारण अगस्त्य  ऋषि द्वारा कर्कटी के माता पुष्कशी और पिता कर्कट को भष्म कर डाला। उस घटना के बाद मैं यहाँ इस पर्वत पर अकेली रहने लगी।अपने परिजनो की मृत्यु के कारण को जानकार भीम ने देवताओं से बदला लेने का निर्णय किया। भीम ने 1000 वर्षों तक भगवान ब्रह्मा   जी की घोर तपस्या की। जिससे ब्रह्मा जी अत्यंत प्रसन्न हुए और  भीम से मन चाहा वर मांगने को कहा। भीम ने वरदान के रूप में और अधिक बलवान होने का वरदान माँगा था ।वरदान मिलते ही भीम सबसे पहले इंद्र सहित और भी देवताओं को युद्ध में परास्त किया और अंत में भगवान विष्णु को  हरा दिया। इसके बाद वह पृथ्वी को जीतना चाहता था। इसके लिए उसने सबसे पहले आसाम के कामरूप के राजा सुदक्षिण पर हमला किया।राजा को पराजित कर उसे बंदीगृह में बंध कर दिया। राजा सुदक्षिण भगवान शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने कारागार में भगवान शिव का शिवलिंग बनाकर तपस्या करनी शुरू कर दी। इस बात की खबर भीम को लगी और उसने शिवलिंग को नष्ट करने के लिए तलवार उठाई।ऐसा करते ही शिवलिंग में से शिव भगवान जी प्रकट हो गए। शिव जी ने अपने धनुष से राक्षस की तलवार के दो टुकड़े कर दिए और एक हुंकार भरते  शिव जी ने भीम  राक्षस को नष्ट कर डाला। भगवान शिव जी उसी स्थान पर लिंग रूप मे स्थित है । भीम  को युद्ध में परास्त करके शिव भगवान को पसीना आया  पृथ्वी पर गिरने  के कारण नदी का प्रादुर्भाव हुआ है।  नदी दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बहती हुयी रायपुर जिले में कृष्णा नदी  है। भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का उप ज्योतिर्लिङ्ग भीमेश्वरसह्य मंदिर पर्वत का  3250 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। सह्य पर्वत से प्रविहित होने वाली भीम नदी ,   झील,, नागफनी, गुप्त भीमशंकर, भीम नदी, साक्षी विनायक  है  भीमशंकर मंदिर के पास कमलजा मंदिर है।महाराष्ट्र का मुम्बई से पूर्व तस्थ पुना से उतर भीम नदी के किनारे सह्य पर्वत के शिखर पर भीमेश्वर और डाकनी मंदिर है ।यहां प्रेतों का निवास था । नैनीताल जिले का उज्जानक में भीमेश्वर मंदिर है ।



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