सोमवार, जून 14, 2021

शक्तिपीठ : आध्यात्मिक और ज्ञान स्थल....

                 

                            


        सनातन धर्म का शाक सम्प्रदाय के विभिन्न धर्म ग्रंथो में  शक्तिपीठ का उल्लेख देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52  है।  भगवान शिव की भार्या माता  सती अपने पिता राजा दक्ष प्रजापति के ब्रह्मेष्ठी  यज्ञ में भगवान शिव का अपमान सहन नहीं करने के कारण दक्ष प्रजापति द्वारा आहूत यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई थी ।भगवान  शिवजी को माता सती की यज्ञ कुंड में स्वयं आहुति करने के संबंध में जानकारी मिलने के बाद भगवान शिव ने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट जाने के बाद भगवान  शिवजी अपनी भार्या सती की जली हुई शरीर लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां सती माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए है । पुरणों के  आख्यायिका के अनुसार माता सती के  शरीर के अंगों से शक्तिपीठ की  उत्पत्ति हुई है  । भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर माता सती के विभिन्न अंग और वस्त्र 108 स्थलों पर गिरे थे । पुराणों के अनुसार जहां-जहां माता सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र , आभूषण गिरने का स्थल शक्तिपीठ है । भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए शक्तिपीठ  हैं। देवी पुराण में  51 शक्तिपीठों में 42 शक्ति पीठ भारत और 9 पीठो में 1 शक्तिपीठ पाकिस्तान में, 4 बांग्लादेश में, 1 श्रीलंका में, 1 तिब्बत में तथा 2 नेपाल में स्थित है।01 : किरीट शक्तिपीठ  -  बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित  किरीट शक्तिपीठ है ।जहां सती माता का किरीट ,  शिराभूषण या मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं।02 : कात्यायनी शक्तिपीठ - वृन्दावन, मथुरा के भूतेश्वर में कात्यायनी शक्तिपीठ स्थित है । कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ जहां सती का केशपाश गिरा था। यहां की शक्ति देवी कात्यायनी और भैरव भूतेश हैं। 03 : करवीर शक्तिपीठ - महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव क्रोधशिश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है। 04 : श्री पर्वत शक्तिपीठ - इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतान्तर है कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है जहां माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरा था। यहां की शक्ति श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं। 05 : विशालाक्षी शक्तिपीठ - उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है शक्तिपीठ जहां माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे। यहां की शक्ति विशालाक्षी तथा भैरव काल भैरव हैं।06 : गोदावरी तट शक्तिपीठ - आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का वामगण्ड यानी बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं। 07 : शुचीन्द्रम शक्तिपीठ  : तमिलनाडु, कन्याकुमारी के त्रिासागर संगम स्थल पर स्थित है यह शुची शक्तिपीठ, जहां सती के उफध्र्वदन्त (मतान्तर से पृष्ठ भागद्ध गिरे थे। यहां की शक्ति नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं। 08 : पंच सागर शक्तिपीठ - इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है लेकिन यहां माता का नीचे के दान्त गिरे थे। यहां की शक्ति वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं। 09 : ज्वालामुखी शक्तिपीठ - हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां सती का जिह्वा गिरी थी। यहां की शक्ति सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं। 10 : भैरव पर्वत शक्तिपीठ - इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतदभेद है। कुछ गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षीप्रा नदी तट पर वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं, जहां माता का उफध्र्व ओष्ठ गिरा है। यहां की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण हैं। 11 :  अट्टहास शक्तिपीठ - अट्टहास शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के लाबपुर में स्थित है। जहां माता का अध्रोष्ठ यानी नीचे का होंठ गिरा था। यहां की शक्ति पफुल्लरा तथा भैरव विश्वेश हैं। 12 : जनस्थान शक्तिपीठ - महाराष्ट्र नासिक के पंचवटी में स्थित है जनस्थान शक्तिपीठ जहां माता का ठुड्डी गिरी थी। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव विकृताक्ष हैं। 13 : कश्मीर शक्तिपीठ - जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ में स्थित है यह शक्तिपीठ जहां माता का कण्ठ गिरा था। यहां की शक्ति महामाया तथा भैरव त्रिसंध्येश्वर हैं। 14 :  नन्दीपुर शक्तिपीठ - पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है यह पीठ, जहां देवी की देह का कण्ठहार गिरा था। यहां कि शक्ति निन्दनी और भैरव निन्दकेश्वर हैं। 15 - श्री शैल शक्तिपीठ - आंध्रप्रदेश के कुर्नूल के पास है श्री शैल का शक्तिपीठ, जहां माता का ग्रीवा गिरा था। यहां की शक्ति महालक्ष्मी तथा भैरव संवरानन्द अथव ईश्वरानन्द हैं। 16 : नलहटी शक्तिपीठ -  पश्चिम बंगाल के बोलपुर में है नलहरी शक्तिपीठ, जहां माता का उदरनली गिरी थी। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं। 17 : मिथिला शक्तिपीठ - इसका निश्चित स्थान अज्ञात है। स्थान को लेकर मन्तारतर है तीन स्थानों पर मिथिला शक्तिपीठ को माना जाता है, वह है नेपाल के जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा, जहां माता का वाम स्कंध् गिरा था। यहां की शक्ति उमा या महादेवी तथा भैरव महोदर हैं। 18 : रत्नावली शक्तिपीठ - इसका निश्चित स्थान अज्ञात है, बंगाज पंजिका के अनुसार यह तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है रत्नावली शक्तिपीठ जहां माता का दक्षिण स्कंध् गिरा था। यहां की शक्ति कुमारी तथा भैरव शिव हैं। 19 : अम्बाजी शक्तिपीठ - गुजरात गूना गढ़ के गिरनार पर्वत के प्रथत शिखर पर देवी अिम्बका का भव्य विशाल मन्दिर है, जहां माता का उदर गिरा था। यहां की शक्ति चन्द्रभागा तथा भैरव वक्रतुण्ड है। ऐसी भी मान्यता है कि गिरिनार पर्वत के निकट ही सती का उध्र्वोष्ठ गिरा था, जहां की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण है। 20 : जालंध्र शक्तिपीठ - पंजाब के जालंध्र में स्थित है माता का जालंध्र शक्तिपीठ जहां माता का वामस्तन गिरा था। यहां की शक्ति त्रिापुरमालिनी तथा भैरव भीषण हैं। 21 :  रामागरि शक्तिपीठ - इस शक्ति पीठ की स्थिति को लेकर भी विद्वानों में मतान्तर है। कुछ उत्तर प्रदेश के चित्राकूट तो कुछ मध्य प्रदेश के मैहर में मानते हैं, जहां माता का दाहिना स्तन गिरा था। यहा की शक्ति शिवानी तथा भैरव चण्ड हैं। 22 :वैद्यनाथ शक्तिपीठ  - झारखण्ड के संथालपरगना के देवघर जिले के , देवघर में वैद्यनाथ शक्तिपीठ स्थित है वैद्यनाथ हार्द शक्तिपीठ, जहां माता का हृदय गिरा था। यहां की शक्ति जयदुर्गा तथा भैरव वैद्यनाथ है। एक मान्यतानुसार यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था। 23 : वक्त्रोश्वर शक्तिपीठ - माता का यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के सैिन्थया में स्थित है जहां माता का मन गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव वक्त्रानाथ हैं। 24) :  कण्यकाश्रम कन्याकुमारी शक्तिपीठ - तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ीद्ध के संगम पर स्थित है कण्यकाश्रम शक्तिपीठ, जहां माता का पीठ मतान्तर से उध्र्वदन्त गिरा था। यहां की शक्ति शर्वाणि या नारायणी तथा भैरव निमषि या स्थाणु हैं। 25 : बहुला शक्तिपीठ -  बंगाल के कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में स्थित है बहुला शक्तिपीठ, जहां माता का वाम बाहु गिरा था। यहां की शक्ति बहुला तथा भैरव भीरुक हैं। 26 : उज्जयिनी शक्तिपीठ - मध्य प्रदेश के उज्जैन के पावन क्षिप्रा के दोनों तटों पर स्थित है उज्जयिनी शक्तिपीठ। जहां माता का कुहनी गिरा था। यहां की शक्ति मंगल चण्डिका तथा भैरव मांगल्य कपिलांबर हैं। 27 : मणिवेदिका शक्तिपीठ - राजस्थान के पुष्कर में स्थित है मणिदेविका शक्तिपीठ, जिसे गायत्री मन्दिर के नाम से जाना जाता है यहीं माता की कलाइयां गिरी थीं। यहां की शक्ति गायत्री तथा भैरव शर्वानन्द हैं। 28 : प्रयाग शक्तिपीठ - उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है। यहां माता की हाथ की अंगुलियां गिरी थी। लेकिन, स्थानों को लेकर मतभेद इसे यहां अक्षयवट, मीरापुर और अलोपी स्थानों गिरा माना जाता है। तीनों शक्तिपीठ की शक्ति ललिता और भैरव भव हैं। 29 - विरजाक्षेत्रा, उत्कल शक्तिपीठ  - उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है जहां माता की नाभि गिरा था। यहां की शक्ति विमला तथा भैरव जगन्नाथ पुरुषोत्तम हैं। 30 : कांची शक्तिपीठ - तमिलनाडु के कांचीवरम् में स्थित है माता का कांची शक्तिपीठ, जहां माता का कंकाल गिरा था। यहां की शक्ति देवगर्भा तथा भैरव रुरु हैं। 31 : कालमाध्व शक्तिपीठ - इस शक्तिपीठ के बारे कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है। परन्तु, यहां माता का वाम नितम्ब गिरा था। यहां की शक्ति काली तथा भैरव असितांग हैं। 32 :  शोण शक्तिपीठ  - मध्य प्रदेश के अमरकंटक के नर्मदा मन्दिर शोण शक्तिपीठ है। यहां माता का दक्षिण नितम्ब गिरा था। एक दूसरी मान्यता यह है कि बिहार के सासाराम का ताराचण्डी मन्दिर ही शोण तटस्था शक्तिपीठ है। यहां सती का दायां नेत्रा गिरा था ऐसा माना जाता है। यहां की शक्ति नर्मदा या शोणाक्षी तथा भैरव भद्रसेन हैं। 33 : कामाख्या शक्तिपीठ  - असम गुवाहाटी के नीलगिरि पर्वत पर कामाख्या शक्तिपीठ स्थित है । यह शक्तिपीठ, जहां माता का योनि गिरा था। यहां की शक्ति कामाख्या तथा भैरव उमानन्द हैं। 34 :  जयन्ती शक्तिपीठ  - जयन्ती शक्तिपीठ मेघालय के जयन्तिया पहाडी पर स्थित है, जहां माता का वाम जंघा गिरा था। यहां की शक्ति जयन्ती तथा भैरव क्रमदीश्वर हैं। 35 :  पटनेश्वरी शक्तिपीठ -  बिहार की राजधनी पटना में स्थित पटनेश्वरी देवी को ही शक्तिपीठ माना जाता है जहां माता का दाहिना जंघा गिरा था। यहां की शक्ति सर्वानन्दकरी तथा भैरव व्योमकेश हैं। 36 : त्रिस्तोता शक्तिपीठ -  बंगाल के जलपाइगुड़ी के शालवाड़ी गांव में तीस्ता नदी पर स्थित है त्रिस्तोता शक्तिपीठ, जहां माता का वामपाद गिरा था। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव ईश्वर हैं। 37 : त्रिपुरी सुन्दरी शक्तित्रिपुरी पीठ - त्रिपुरा के राध किशोर ग्राम में स्थित है त्रिपुरे सुन्दरी शक्तिपीठ, जहां माता का दक्षिण पाद गिरा था। यहां की शक्ति त्रिापुर सुन्दरी तथा भैरव त्रिपुरेश हैं। 38 : विभाष शक्तिपीठ -  बंगाल के मिदनापुर के ताम्रलुक ग्रााम में स्थित है विभाष शक्तिपीठ, जहां माता का वाम टखना गिरा था। यहां की शक्ति कापालिनी, भीमरूपा तथा भैरव सर्वानन्द हैं। 39 :  देवीकूप पीठ कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ - हरियाणा के कुरुक्षेत्र जंक्शन के निकट द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ, जिसे श्रीदेवीकूप(भद्रकाली पीठ के नाम से मान्य है। माता का दहिने चरण (गुल्पफद्ध गिरे थे। यहां की शक्ति सावित्री तथा भैरव स्थाणु हैं। 40 : युगाद्या शक्तिपीठ, क्षीरग्राम शक्तिपीठ - बंगाल के बर्दमान जिले के क्षीरग्राम में स्थित है युगाद्या शक्तिपीठ, यहां सती के दाहिने चरण का अंगूठा गिरा था। यहां की शक्ति जुगाड्या और भैरव क्षीर खंडक है। 41 : विराट का अम्बिका शक्तिपीठ - राजस्थान के गुलाबी नगरी जयपुर के वैराटग्राम में स्थित है विराट शक्तिपीठ, जहाँ सती के ‘दायें पाँव की उँगलियाँ’ गिरी थीं।। यहां की शक्ति अंबिका तथा भैरव अमृत हैं। 42 : कालीघाटशक्तिपीठ -  बंगाल, कोलकाता के कालीघाट में कालीमन्दिर के नाम से प्रसिध यह शक्तिपीठ, जहां माता के दाएं पांव की अंगूठा छोड़ 4 अन्य अंगुलियां गिरी थीं। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव नकुलेश हैं।43 : मानस शक्तिपीठ - तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है मानस शक्तिपीठ, जहां माता का दाहिना हथेली का निपात हुआ था। यहां की शक्ति की दाक्षायणी तथा भैरव अमर हैं। 44 : लंका शक्तिपीठ - श्रीलंका में स्थित है लंका शक्तिपीठ, जहां माता का नूपुर गिरा था। यहां की शक्ति इन्द्राक्षी तथा भैरव राक्षसेश्वर हैं। लेकिन, उस स्थान ज्ञात नहीं है कि श्रीलंका के किस स्थान पर गिरे थे। 45 : गण्डकी शक्तिपीठ - नेपाल में गण्डकी नदी के उद्गम पर स्थित है गण्डकी शक्तिपीठ, जहां सती के दक्षिणगण्ड(कपोल) गिरा था। यहां शक्ति `गण्डकी´ तथा भैरव `चक्रपाणि´ हैं। 46 : गुह्येश्वरी शक्तिपीठ  - नेपाल के काठमाण्डू में पशुपतिनाथ मन्दिर के पास ही स्थित है गुह्येश्वरी शक्तिपीठ है, जहां माता सती के दोनों जानु (घुटने) गिरे थे। यहां की शक्ति `महामाया´ और भैरव `कपाल´ हैं। 47 : हिंगलाज शक्तिपीठ - पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रान्त में स्थित है माता हिंगलाज शक्तिपीठ, जहां माता का ब्रह्मरन्ध्र (सिर का ऊपरी भाग) गिरा था। यहां की शक्ति कोट्टरी और भैरव भीमलोचन है। 48 :  सुगंध शक्तिपीठ  - बांग्लादेश के खुलना में सुगंध नदी के तट पर स्थित है उग्रतारा देवी का शक्तिपीठ, जहां माता का नासिका गिरा था। यहां की देवी सुनन्दा है तथा भैरव त्रयम्बक हैं। 49 : करतोयाघाट शक्तिपीठ  -बंग्लादेश भवानीपुर के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर स्थित है करतोयाघाट शक्तिपीठ, जहां माता का वाम तल्प गिरा था। यहां देवी अपर्णा रूप में तथा शिव वामन भैरव रूप में वास करते हैं। 50 : चट्टल शक्तिपीठ - बंग्लादेश के चटगांव में स्थित है चट्टल का भवानी शक्तिपीठ, जहां माता का दाहिना बाहु यानी भुजा गिरा था। यहां की शक्ति भवानी तथा भेरव चन्द्रशेखर हैं। 51:  यशोर शक्तिपीठ - बांग्लादेश के जैसोर खुलना में स्थित है माता का प्रसि( यशोरेश्वरी शक्तिपीठ, जहां माता का बायीं हथेली गिरा था। यहां शक्ति यशोरेश्वरी तथा भैरव चन्द्र है ।   सनातन धर्म का शाक्त  सम्प्रदाय का शक्ति ,  आस्था दर्शन , माया ,योग , तथा  परम शक्ति के रूप में शक्तिपीठ स्थापित है । वेद संहिता वेदांग ब्राह्मण ग्रंथ , आरण्यक , उपनिषद , पुराण , भागवत , देवी भागवत , सनातन धर्म के अनुसार माता  सती  के शरीर के अंग गिरे, वहां वहां शक्ति पीठ बनकर  अत्यंत पावन तीर्थ स्थापित हुए है ।भारतीय उपमहाद्वीप पर शक्तिपीठ  हैं। जयंती देवी शक्ति पीठ भारत के मेघालय राज्य में नाॅरटियांग नामक स्थान पर है।पुराणों के अनुसार सती के शव के विभिन्न अंगों से बावन शक्तिपीठों का निर्माण हुआ था। इसके पीछे यह अंतर्कथा है कि दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में 'बृहस्पति सर्व' नामक यज्ञ रचाया। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर अपने जमाता भगवान शंकर को नहीं बुलाया। शंकरजी की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर  यज्ञ में भाग लेने गईं। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया। इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे। इस अपमान से पीड़ित हुई सती ने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी। भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। भगवान शंकर के आदेश पर उनके गणों के उग्र कोप से भयभीत सारे देवता ऋषिगण यज्ञस्थल से भाग गये। भगवान शंकर ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुःखी हुए इधर-उधर घूमने लगे। तदनंतर सम्पूर्ण विश्व को प्रलय से बचाने के लिए जगत के पालनकर्त्ता भगवान विष्णु ने चक्र से सती के शरीर को काट दिया। तदनंतर वे टुकड़े 52 जगहों पर गिरे। वे ५२ स्थान शक्तिपीठ कहलाए। सती ने दूसरे जन्म में हिमालयपुत्री पार्वती के रूप में शंकर जी से विवाह किया। पुराण ग्रंथों, तंत्र साहित्य एवं तंत्र चूड़ामणि में जिन बावन शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है, वे निम्नांकित हैं। निम्नलिखित सूची 'तंत्र चूड़ामणि' में वर्णित इक्यावन शक्ति पीठों की है। बावनवाँ शक्तिपीठ अन्य ग्रंथों के आधार पर है। इन बावन शक्तिपीठों के अतिरिक्त अनेकानेक मंदिर देश-विदेश में विद्यमान हैं। हिमाचल प्रदेश में नयना देवी का पीठ (बिलासपुर)की  गुफा में प्रतिमा स्थित सती का एक नयन  गिरा था । उत्तराखंड के स्थल मसूरी के पास घनौल्टी में  सती का सिर धड़ से अलग होकर गिरा था। माता सती के अंग भूमि पर गिरने का कारण भगवान श्री विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से सती माता के समस्तांग विछेदित करना था ।उत्तरप्रदेश के सहारनपुर के शक्तिपीठ क्षेत्र मे माता का शीश गिरा था जिस कारण वहाँ देवी को दुर्गमासुर संहारिणी शाकम्भरी तथा भैरव भूरादेव हैं।काली माता कलकत्ता , हिंगलाज भवानी ,शाकम्भरी देवी सहारनपुर , विंध्यवासिनी ,  शक्तिपीठ चामुण्डा देवी हिमाचल प्रदेश ,ज्वालामुखी हिमाचल प्रदेश , कामाख्या देवी असम , हरसिद्धि माता उज्जैन ,छिन्नमस्तिका पीठ रजरप्पा  है ।
राजा दक्ष की पुत्री एवं भगवान शिव की भार्या सती के शरीर का विभिन्न अंग , आभूषण को  विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से काटे जाने पर पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर गिरने के कारण  शक्तिपीठ है।
शंकरी देवी, त्रिंकोमाली श्रीलंका , कामाक्षी देवी, कांची, तमिलनाडू, सुवर्णकला देवी, प्रद्युम्न, बंगाल ,चामुंडेश्वरी देवी, मैसूर, कर्नाटक ,जोगुलअंबा देवी, आलमपुर, आंध्रप्रदेश ,भ्रमराम्बा देवी, श्रीशैलम, आंध्रप्रदेश ,महालक्ष्मी देवी, कोल्हापुर, महाराष्ट्र , इकवीराक्षी देवी, नांदेड़, महाराष्ट्र, हरसिद्धी माता मंदिर, उज्जैन, मध्यप्रदेश , पुरुहुतिका देवी, पीथमपुरम, आंध्रप्रदेश, पूरनगिरि मंदिर, टनकपुर, उत्तराखंड ,मनीअंबा देवी, आंध्रप्रदेश ,कामाख्या देवी, गुवाहाटी, असम ,मधुवेश्वरी देवी, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश , वैष्णोदेवी, कांगड़ा, हिमाचलप्रदेश , शाकम्भरी माता उत्तर प्रदेश , सर्वमंगला देवी, गया, बिहार , विशालाक्षी देवी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश ,शारदा देवी , पीओके ,कालका देवी , दिल्ली  , विंध्यवासिनी मंदिर, मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश , महामाया मंदिर, अंबिकापुर, अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ , योगमाया मंदिर, दिल्ली, महरौली, दिल्ली , दंतेश्वरी मंदिर,दंतेवाड़ा,दंतेवाड़ा,छत्तीसगढ़ ,शाकम्भरी देवी मंदिर सहारनपुर उत्तर प्रदेश , मनसा देवी मंदिर मनीमाजरा पंचकुला , माँ विजयासन (बीजासेन) धाम,सलकनपुर,जिला सीहोर,मध्य प्रदेश , चंडिका स्थान, मुंगेर, बिहार , पूर्णागिरी पर नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश  में ज्वाला देवी , बिहार के पटना के महराजगंज में बड़ी पतन देवी , हाजी गंज में छोटन पटनदेवी , नालंदा जिले का एकंगरसराय के मघरा  में शीतला मंदिर , नवादा जिला का रूपौ में चामुंडा मंदिर , सारण जिले का आमी छपरा में अम्बिका मंदिर , रोहतास जिले का सासाराम के कैमूर पहाड़ी की गुफा में ताराचंडी मंदिर , बक्सर जिले का बक्सर में दंतेश्वरी मंदिर ,कैमूर जिले का भगवानपुर कैमूर पर्वत पर मुंडेश्वरी मंदिर शक्तिपीठ है । जहानाबाद जिले का मखदुमपुर प्रखंड के बराबर पर्वत समूह की सूर्यान्क श्रृंखला पर सिद्धेश्वरी , बागेश्वरी , मोदनगंज प्रखंड के मैन मठ चरुई में काली मंदिर , गया जिले का बेलागंज में विभूक्षणी भवानी मंदिर , गया का डंगेश्वरी पर्वत पर डुंगेश्वरी माता  , अरवल जिले का करपी का जगदम्बा स्थान मंदिर मुजफ्फरपुर के काटी में छिन्नमस्तिका मंदिर , मुजफ्फरपुर का काली मंदिर , दरभंगा जिले का दरभंगा का श्यामा मंदिर , गया जिले का गया में पालन शक्ति पीठ , बांग्ला मंदिर , दुःखरनी मंदिर , बागेश्वरी मंदिर  शक्ति स्थल है।


                     

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