सनातन धर्म की शाक्त सम्प्रदाय की सांस्कृतिक विरासत भारतीय , श्रीलंकीय , तिब्बतीय शक्तिपीठों में समाहित है । शाक्त सम्प्रदाय में शक्ति की उपासना और तंत्र मंत्र , सिद्धि प्राप्त करने के लिए शक्तिपीठों का निर्माण करने के लिये महत्वपूर्ण भूमिका है । इन्द्राक्षी शक्तिपीठ , श्रीलंका - देवी भागवत पुराण , कालिकापुराण , शिवचरित्र , दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की माता सती के शक्तिपीठों में श्री लंका की त्रिंकोमाली स्थित इन्द्राक्षी शक्तिपीठ तथा कोनेश्वरम मंदिर का उल्लेख है ।महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं करने के कारण यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। भगवान शिव को जब यह पता चला तब उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया था । भगवान शिवजअपनी पत्नी सती की जली हुई शव लेकर विलाप करते हुए ब्रह्मांड में घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। पुरणों के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई है । श्रीलंका के त्रिंकोमाली में माता की नूपुर गिरने के कारण त्रिंकोमाली में प्रसिद्ध त्रिकोणेश्वर मंदिर स्थित इंद्राक्षी शक्तिपीठ और राक्षसेश्वर भैरव की स्थापित हैं । सती के शरीर का पेट और जांघ के बीच का भाग का हिस्सा गिरा था । श्रीलंका का शंकरी शक्तिपीठ है। शंकरी देवी मंदिर की स्थापना रावण ने की थी। शिव मंदिर को कोणेश्वरम कोलंबो से 250 किमी दूर त्रिकोणमाली की जगह पर चट्टान पर स्थित है।
मानस शक्तिपीठ , तिब्बत - देवीपुराण के अनुसार पर्वत 'भगवान शिव का सिंहासन' है। बौद्धों के लिए विशाल प्राकृतिक मण्डप और जैनियों के लिए ऋषभदेव का निर्वाण स्थल है। ममहामाया शक्तियों का भण्डार मानते हैं। भौगोलिक दृष्टि से चीन के अधीन महामाया स्थल हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और तिब्बतियों के लिए अति-पुरातन तीर्थस्थान है। सती देवी माँ का शक्तिपीठ चीन अधिकृत मानसरोवर के तट पर सती की 'बायीं हथेली' का निपात हुआ था। महामाया की शक्ति 'दाक्षायणी' तथा भैरव 'अमर' हैं। 'कैलास शक्तिपीठ' मानसरोवर का गौरवपूर्ण वर्णन हिन्दू, बौद्ध, जैन , शाक्त धर्म ग्रंथों में मिलता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार ब्रह्मा जी के मन से निर्मित होने के कारण 'मानसरोवर' कहा गया। मानसरोवर पर भगवान शिव हंस रूप में विहार करते हैं। जैन धर्मग्रंथों में कैलास को 'अष्टपद' तथा मानसरोवर को 'पद्महद' कहा गया है। सरोवर में तीर्थंकरों ने स्नान कर तपस्या की थी। बुद्ध के जन्म के साथ मानसरोवर का घनिष्ट संबंध है। तिब्बती धर्मग्रंथ 'कंगरी करछक' में मानसरोवर की देवी 'दोर्जे फांग्मो' मानसरोवर को निवास कहा गया है। भगवान देमचोर्ग, देवी फांग्मो के साथ नित्य विहार करते हैं। मानसरोवर को 'त्सोमफम' कहते है । मानसरोवर के समीप राक्षस ताल को 'रावण हृद' कहते हैं। मानसरोवर का जल नदी द्वारा राक्षस ताल तक जाता है। तिब्बती लोग 'लंगकत्सु' कहते हैं। जैन-ग्रंथों के अनुसार रावण 'अष्टपद' की यात्रा पर आया और उसने 'पद्महद' में स्नान करना चाहा, किंतु देवताओं ने उसे रोक दिया। तब उसने एक सरोवर, 'रावणहृद' का निर्माण किया और उसमें मानसरोवर की धारा प्रविहित कर स्नान किया था ।मानसे कुमुदा प्रोक्ता' के अनुसार मानसरोवर की शक्ति 'कुमुदा' हैं । तंत्र चूड़ामणि के अनुसार 'मानसे दक्षहस्तो में देवी दाक्षायणी हर। अमरो भैरवस्तत्र सर्वसिद्धि विधायकः॥ के अनुसार शक्ति 'दाक्षायणी' हैं । राम मनसा निर्मित परम्। ब्रह्मणा नरशार्दूल तेनेदं मानसं सरः॥(वाल्मीकि रामायण... 1/24/8-9) के अनुसार वज्रवाराही , छबध्वनि राक्षस नदी , पद्महद , शक्तिपीठ अट्टहास शक्तिपीठ · अम्बाजी शक्तिपीठ · हरसिद्धि शक्तिपीठ · कन्याकुमारी शक्तिपीठ · करतोयाघाट शक्तिपीठ · करवीर शक्तिपीठ · कश्मीर शक्तिपीठ · कांची शक्तिपीठ · कात्यायनी पीठ · कामाख्या शक्तिपीठ · कालमाधव शक्तिपीठ · कालीघाट काली मंदिर · विशालाक्षी शक्तिपीठ · किरीट शक्तिपीठ · गण्डकी शक्तिपीठ · गुह्येश्वरी शक्तिपीठ · गोदावरी तट शक्तिपीठ · चट्टल शक्तिपीठ · जनस्थान शक्तिपीठ · जयंती शक्तिपीठ · जालंधर शक्तिपीठ · चिताभूमि · ज्वालामुखी शक्तिपीठ · त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ · त्रिस्तोता शक्तिपीठ · देवीकूप शक्तिपीठ · नन्दीपुर शक्तिपीठ · नलहाटी शक्तिपीठ · पंच सागर शक्तिपीठ · प्रयाग शक्तिपीठ · बहुला शक्तिपीठ · भैरवपर्वत शक्तिपीठ · मगध शक्तिपीठ · मणिवेदिका शक्तिपीठ · मानस शक्तिपीठ · पावागढ़ शक्तिपीठ · मिथिला शक्तिपीठ · यशोर शक्तिपीठ · युगाद्या शक्तिपीठ · रत्नावली शक्तिपीठ · रामगिरि शक्तिपीठ · लंका शक्तिपीठ · वक्त्रेश्वर शक्तिपीठ · विभाष शक्तिपीठ · विरजा शक्तिपीठ · विराट शक्तिपीठ · वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ · दुनागिरि शक्तिपीठ · शुचींद्रम शक्तिपीठ · शोण शक्तिपीठ · श्री पर्वत शक्तिपीठ · श्री शैल शक्तिपीठ · सुंगधा शक्तिपीठ · चामुंडा देवी मंदिर · माया देवी शक्तिपीठ · हिंगलाज शक्तिपीठ · उग्रतारा मंदिर है । विश्व की धरातल में भारत , नेपाल , तिब्बत , श्रीलंका , पाकिस्तान की धरती के बहु भाग में शक्ति की उपासना की जाती है ।
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