भारतीय शाक्त सम्प्रदाय का शक्ति उपासना स्थल सिद्धि स्थल शक्ति पीठ है । देवी भागवत पुराण और मार्कण्डेय पुराण में शक्ति उपासना का महत्वपूर्ण उल्लेख है । झारखंड राज्य का रामगढ़ जिले के रजरप्पा में स्थापित 'छिन्नमस्तिका' महाविद्यायों हैं। छिन्नमस्ता देवी के हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर है तथा दूसरे हाथ में कटार है। कोलकाता के एक कालीपूजा मण्डप में छिन्नमस्ता का संबंध महाविद्या, देवी , निवासस्थान श्मशान अस्त्र खप्पर , जीवनसाथी भगवान शिव है ।
माता छिन्नमस्ता महाविद्या सकल चिंताओं का अंत कर कामना को पूरा करती हैं। शक्ति स्वरूपा छिन्न शीश के रूप में अन्न के आगमन के रूप सिर के सन्धान से यज्ञ के रूप में प्रतिष्ठित है। जब सिर संधान रूप अन्न का आगमन बंद होगें तब उस समय छिन्नमस्ता रह जाती है । छिन्नमस्ता महाविद्या का ज्ञान कराने वाली महाविद्या भगवती त्रिपुरसुंदरी का रौद्र रूप है। शक्ति के विपरीत रति आलिंगन पर स्थित हैं। माता छिन्नमस्ता के एक हाथ में खड्ग और दूसरे हाथ में मस्तक धारण किए हुए हैं। माता छिन्नमस्ता द्वारा अपने कटे हुए स्कन्ध से रक्त की धाराएं में एक को स्वयं पीती और धाराओं से अपनी सहेली जया और विजया की भूख को तृप्त कर रही हैं। इडा, पिंगला और सुषुम्ना नाडियों का संधान कर योग मार्ग में सिद्धि को प्रशस्त करती हैं। विद्यात्रयी में दूसरी विद्या गिनी जाती हैं।
देवी के गले में हड्डियों की माला तथा कन्धे पर यज्ञोपवीत है। इसलिए शांत भाव से इनकी उपासना करने पर यह अपने शांत स्वरूप को प्रकट करती हैं। माता छिन्नमस्ता उग्र रूप में उपासना करने पर माता उग्र रूप में दर्शन देती हैं जिससे साधक के उच्चाटन होने का भय रहता है। दिशाएं वस्त्र , नाभि में योनि चक्र है। माता छिन्नमस्ता की उपासना का मंत्र के चार लाख जप करने पर देवी सिद्ध होकर कृपा करती हैं। जप का दशांश हवन, हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन और मार्जन का दशांश ब्राह्मण और कन्या भोजन करना आवश्यक है ।
छिन्नमस्तिका मंदिर वर्णन 'छिन्नमस्तिका मंदिर' झारखंड के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह शक्तिपीठ होने के साथ-साथ पर्यटन का मुख्य केंद्र है। स्थान रजरप्पा, झारखंड का रामगढ़ जिले के भैरवी नदी के किनारे रजरप्पा स्थित माता छिन्नमस्ता छह हज़ार वर्ष पूर्व स्थापित है । देवी-देवता हज़ारों साल पहले राक्षसों एवं दैत्यों से मानव एवं देवता आतंकित थे। तब मानव माँ शक्ति को याद करने लगे। तब पार्वती (शक्ति) का 'छिन्नमस्तिका' के रूप में अवतरण हुआ। भौगोलिक स्थिति रांची से क़रीब 80 किलोमीटर की दूरी पर रजरप्पा में शक्तिपीठ आदिवासियों , जनजातियों में संथाली देवी छिन्नमस्तिका हैं। भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित रजरप्पा की छिन्नमस्तिका मंदिर की उत्तरी दीवार के साथ रखे शिलाखंड पर दक्षिण की ओर मुख किए माता छिन्नमस्तिका के दिव्य स्वरूप का दर्शन होता है। छिन्नमस्तिका मंदिर का निर्माण छह हज़ार वर्ष पहले हुआ था। मंदिर में आसपास प्राचीन ईंट, मूर्ति एवं यज्ञ कुंड नष्ट हो गए है । छह हज़ार वर्ष पूर्व मंदिर में माँ छिन्नमस्तिका की मूर्ति स्वतः अनूदित हुई थी। छिन्नमस्तिका मंदिर का निर्माण वास्तुकला के गोलाकार गुम्बद की शिल्प कला असम वास्तुकलात्मक शिल्प से मिलती है। मंदिर में एक द्वार है। झारखण्ड राज्य का क्षेत्रों के ऐतिहासिक स्थलों में देवघर का त्रिकुट , नंदन पहाड़ , नौलखा मंदिर , बैजू , वासुकीनाथ , सत्संग आश्रम , वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग , बोकारो जवाहरलाल नेहरू बायोलॉजिकल पार्क , पारसनाथ पहाड़ी , इस्पात पुस्तकालय , स्टील प्लांट धनबाद चारक खुर्द , तोपचांची झील, पंचेत , पानर्रा , मैथन बाँध गिरिडीह उसरी झरना , खण्डोली , मधुबन जमशेदपुर कीनन स्टेडियम , जयंती सरोवर , जुबली पार्क , डिमना झील , दलमा वन्य अभ्यारण्य दुमका भुमका · मसनजोर बाँध · मलूटी रांची गोंडा हिल एण्ड रॉक गार्डन · मछलीघर-मूटा मगरमच्छ प्रजनन केन्द्र · मैकक्लुस्किगंज , हुंडरू जलप्रपात , सदनी जलप्रपात , हिरणी जलप्रपात , जगन्नाथपुर मन्दिर , राँची झील , नक्षत्र वन , दसम जलप्रपात , जोन्हा जलप्रपात , टैगोर हिल , राजकीय संग्रहालय राँची , हज़ारीबाग़ कैनेरी पहाड़ी , राजरप्पा जलप्रपात , हज़ारीबाग़ अभयारण्य , हज़ारीबाग़ झील , रामगढ़ का
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